नई दिल्ली : पूर्व नौकरशाहों के एक समूह ने सोमवार को फेसबुक के सीईओ मार्क जकरबर्ग को पत्र लिखा। इस पत्र में भारत में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर हेट स्पीच वाली सामग्रियों पर अपनी नीतियों का ऑडिट करने के लिए गंभीर प्रयास करने की मांग की गई है। साथ ही यह भी कहा गया है कि 'अल्पसंख्यक वर्ग को गलत तरीके से पेश करते हुए भारतीय संविधान के धर्मनिरपेक्ष एवं लोकतांत्रिक बुनियाद को कमजोर न बनाया जाए।'
समूह में शामिल 54 सदस्यों ने लिखा पत्र
समूह में शामिल सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी सलाउद्दीन अहमद, शफी आलम, आईपीएस (रिटायर्ड) के सलीम अली सहित 54 सदस्यों की ओर से जारी आधिकारिक बयान में कहा गया, 'हमने इस उम्मीद के साथ जकरबर्ग को पत्र लिखा है कि वह भारत में फेसबुक की हेट स्पीच पॉलिसी के लागू होने का ऑडिट कराएंगे और ऐसी नीतियों को इजाजत नहीं देंगे जो भारतीय संविधान के धर्मनिरपेक्ष एवं लोकतांत्रिक बुनियाद को कमजोर बनाता है।'
नौकरशाहों ने कहा कि जकरबर्ग उनकी भावना को समझेंगे
पत्र में समूह ने कहा है कि एक अमेरिकी नागरिक होने के नाते जुकरबर्ग लोकतांत्रिक और लोगों के मौलिक अधिकारों पर अभद्र भाषा के प्रतिकूल प्रभाव को समझेंगे और इसकी सराहना करेंगे। यही कारण है कि फेसबुक ने इसे अपनी नीति का हिस्सा बनाया है। यह नीति जाति, जातीयता, राष्ट्रीय मूल, धार्मिक संबद्धता, यौन आकर्षण, सेक्स, जेंडर के आधार पर लोगों को निशाना बनाने से रोकती है।
हेट स्पीच पर अपनी नीतियों को सख्ती से लागू नहीं करने का आरोप
बता दें कि अमेरिकी अखबार 'वॉल स्ट्रीट जनरल' ने कुछ दिनों पहले अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि भारत में हेट स्पीच से संबंधित सामग्रियों पर रोक लगाने के लिए फेसबुक ने अपनी नीतियों को कड़ाई से लागू नहीं किया। अखबार के इस दावे के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मोदी सरकार को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश की। कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने फेसबुक इंडिया के अधिकारियों को सूचना प्रौद्योगिकी पर संसदीय समिति के समक्ष पेश होने के लिए नोटिस जारी किया। इसके बाद भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने थरूर पर पलटवार किया।
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