गुजरात: मंत्री ने धार्मिक कार्यक्रम में खुद को जंजीरों से पीटा, कांग्रेस ने अंधविश्वास बताया, वीडियो वायरल

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Updated May 27, 2022 | 22:57 IST

Arvind Raiyani video: अपने मंत्री का बचाव करते हुए गुजरात भाजपा के प्रवक्ता यग्नेश दवे ने कहा कि कांग्रेस को आस्था और अंधविश्वास में फर्क समझने की जरूरत है। दवे ने कहा कि यह किसी के निजी धार्मिक विश्वास का मामला है।

Arvind Raiyani
अरविंद रैयानी 

अहमदाबाद: गुजरात के मंत्री अरविंद रैयानी शुक्रवार को इंटरनेट और सोशल मीडिया पर एक वीडियो के प्रसारित होने के कारण विवादों में घिर गये। इस वीडियो में वह एक धार्मिक कार्यक्रम के दौरान खुद को धातु की जंजीरों से पीटते दिख रहे हैं। इस पर विपक्षी दल कांग्रेस ने मंत्री पर आरोप लगाया है कि वह इस तरह की हरकतों से अंधविश्वास को बढ़ावा दे रहे हैं।

रैयानी और सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कांग्रेस के दावों को खारिज करते हुए कहा कि आस्था और अंधविश्वास में अंतर है। वीडियो में परिवहन, नागरिक उड्डयन और पर्यटन मंत्री खुद को जंजीर से पीटते दिख रहे हैं। संवाददाताओं से बातचीत में रैयानी ने कहा कि उनके कुल देवता की प्रार्थना के लिए एक धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन राजकोट जिले में बृहस्पतिवार को उनके पैतृक गांव में किया गया था। मंत्री ने कहा कि मैं बचपन से ही अपने देवता का परम भक्त रहा हूं। मेरा परिवार पैतृक गांव में इस तरह के धार्मिक कार्यक्रम आयोजित कराता रहता है। आप इसे (मेरा कृत्य) केवल अंधविश्वास नहीं कह सकते, हम केवल अपने कुल देवता की पूजा कर रहे हैं।  

गुजरात कांग्रेस के प्रवक्ता मनीष दोषी ने अंधविश्वास फैलाने के लिए भाजपा नेता की खिंचाई की है। दोषी ने कहा कि मंत्री होने के बावजूद रैयानी ने अवैज्ञानिक कृत्य करके अंधविश्वास फैलाने का काम किया। वह एक ओझा की तरह अंधविश्वास फैला रहे थे, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि ऐसे लोग गुजरात सरकार के मंत्री के रूप में काम कर रहे हैं।

अपने मंत्री का बचाव करते हुए गुजरात भाजपा के प्रवक्ता यग्नेश दवे ने कहा कि कांग्रेस को आस्था और अंधविश्वास में फर्क समझने की जरूरत है। दवे ने कहा कि यह किसी के निजी धार्मिक विश्वास का मामला है। आस्था और अंधविश्वास के बीच बहुत महीन रेखा है। हर व्यक्ति अलग तरह से अपने अराध्य देव की आराधना करता है। पारंपरिक कर्मकांड को अंधविश्वास नहीं कहा जा सकता। कांग्रेस को धार्मिक आस्था को चोट पहुंचाने से बाज आना चाहिए।

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