गुजरात के विधायक जिग्नेश मेवानी को असम की कोकराझार कोर्ट ने जमानत दे दी है। उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर ट्वीट से जुड़े मामले में ये जमानत मिली है। लेकिन अब खबर आई है कि उन्हें बारपेटा पुलिस ने एक अन्य मामले में फिर से गिरफ्तार किया है। पुलिस सूत्रों का कहना है कि जिग्नेश मेवाणी को एक अन्य मामले में जमानत मिलने के बाद अधिकारियों पर 'हमला' करने के आरोप में असम में फिर से गिरफ्तार किया गया है। रविवार को अदालत ने मेवानी को एक दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। मेवाणी के वकील अंगशुमान बोरा ने कहा था कि अदालत ने जिग्नेश मेवाणी को एक दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया और अदालत सोमवार को जमानत याचिका पर सुनवाई करेगी। पुलिस ने 10 दिन की हिरासत मांगी थी। अगर अदालत जमानत नहीं देगी तो हम उच्च न्यायालय का रुख करेंगे।
इससे पहले बुधवार की रात मेवाणी को असम पुलिस की एक टीम ने गुजरात के पालनपुर शहर से उनके एक-दो ट्वीट को लेकर गिरफ्तार किया था। असम के भाजपा नेता अरूप कुमार डे द्वारा शिकायत दर्ज किए जाने के बाद उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी। मेवानी के खिलाफ धारा 120 बी (आपराधिक साजिश), धारा 153 (ए) (दो समुदायों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना), 295 (ए), 504 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान) और आईटी अधिनियम की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था। .
मेवानी के ट्विटर हैंडल पर कुछ ट्वीट्स दिखाई नहीं दे रहे हैं, जिसमें एक संदेश दिखाया गया है कि ट्वीट्स को 'कानूनी मांग' के आधार पर भारत में रोक दिया गया है।
मेवाणी ने 20 अप्रैल को ट्वीट किया कि ट्विटर इंडिया ने मेरे पिछले दो ट्वीट हटा दिए हैं। एक ट्वीट में आरएसएस द्वारा सदियों से तिरंगा नहीं फहराने की बात कही गई है। यह एक ऐतिहासिक सत्य है और दूसरा गोडसे की विचारधारा में मोदी जी के विश्वास को लेकर है। मैं भाजपा को चुनौती देता हूं कि इनमें से किसी भी तथ्य को गलत साबित करें।
असम पुलिस की गिरफ्त में कांग्रेस MLA जिग्नेश मेवानी, जानें क्या है मामला
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