Life Sentence to Yasin Malik: पीपुल्स अलायंस फॉर गुपकार डिक्लेरेशन (People's Alliance for Gupkar Declaration) ने बुधवार को जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी नेता यासीन मलिक (Yasin Malik) को आतंकी फंडिंग मामले में उम्रकैद की सजा को दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए कहा कि एनआईए की अदालत ने फैसला सुनाया है, लेकिन ये न्याय नहीं। साथ ही पीपुल्स अलायंस फॉर गुपकार डिक्लेरेशन ने इस फैसले से जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी भावनाओं में और इजाफा होने की आशंका व्यक्त की।
उम्रकैद की सजा दुर्भाग्यपूर्ण और शांति के प्रयासों के लिए झटका- पीएजीडी
पीएजीडी ने आगे कहा कि यासीन मलिक को दी गई उम्रकैद की सजा दुर्भाग्यपूर्ण और शांति के प्रयासों के लिए झटका है। हमें डर है कि इससे क्षेत्र में अनिश्चितताएं और बढ़ेंगी और इससे अलगाव और अलगाववादी भावनाओं को और बढ़ावा मिलेगा। साथ ही कहा कि बीजेपी और कॉरपोरेट मीडिया द्वारा प्रदर्शित किया जा रहा ये विजयवाद उल्टा साबित होगा।
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यासीन मलिक को उम्रकैद की सजा सुनाते हुए कोर्ट ने 10 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया
पीएजीडी ने अपने बयान में आगे ये भी सुझाव दिया कि यासीन मलिक को इस फैसले को चुनौती देने के लिए सभी कानूनी अवसरों का लाभ उठाना चाहिए। एनआईए कोर्ट ने बुधवार को यासीन मलिक को उम्रकैद की सजा सुनाते हुए 10 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है। यासीन मलिक को दो अपराधों, आईपीसी की धारा 121 (भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ना) और यूएपीए की धारा 17 (आतंकवादी गतिविधियों के लिए पैसा जुटाना) के लिए दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई गई है।
हालांकि एनआईए ने 19 मई को दोषी ठहराए गए अलगाववादी नेता के लिए मौत की सजा की मांग की थी। 10 मई को यासीन मलिक ने कोर्ट को बताया था कि वह अपने खिलाफ लगाए गए आरोपों का विरोध नहीं कर रहा है, जिसमें धारा 16 (आतंकवादी अधिनियम), 17 (आतंकवादी अधिनियम के लिए धन जुटाना), 18 (आतंकवादी कृत्य करने की साजिश), यूएपीए की धारा 20 (आतंकवादी गिरोह या संगठन का सदस्य होने के नाते), भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी (आपराधिक साजिश) और 124-ए (देशद्रोह) शामिल है।
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