नई दिल्ली: पिछले साल जनवरी में जामिया में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ प्रदर्शन करने वालों पर फायरिंग करने वाले राम भक्त गोपाल ने 4 जुलाई को हरियाणा के पटौदी में एक महापंचायत में कथित रूप से भड़काऊ भाषण दिया। इसके लिए उसे गिरफ्तार किया गया और 4 दिन बाद एक स्थानीय अदालत ने जमानत के लिए उसके आवेदन को खारिज कर दिया। अदालत ने कहा कि 'हेट स्पीच' एक 'फैशन' बन गई है और कि इसकी रिहाई से यह संदेश जाएगा कि समाज में इस प्रकार के कृत्य स्वीकार्य हैं।
न्यायिक मजिस्ट्रेट मोहम्मद सगीर ने कहा कि भाषण के वीडियो से कोर्ट की अंतरात्मा पूरी तरह स्तब्ध है। अपने आदेश में उन्होंने कहा कि धर्म या जाति के आधार पर भड़काऊ भाषण आजकल फैशन बन गया है। पुलिस भी इस तरह की घटनाओं से निपटने में बेबस नजर आ रही है। इस तरह की गतिविधियां वास्तव में हमारे देश के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को बिगाड़ रही हैं और भारत के संविधान की भावना को मार रही हैं।
अदालत ने कड़े शब्दों में कहा कि जो लोग इस तरह के सांप्रदायिक रूप से आरोपित भाषण देते हैं और असामंजस्य पैदा करते हैं, वे देश के लिए कोविड महामारी से अधिक हानिकारक हैं। इस तरह के लोग जो आम लोगों के बीच वैमनस्य पैदा करने और नफरत फैलाने की कोशिश कर रहे हैं, वे वास्तव में इस देश को महामारी से ज्यादा नुकसान पहुंचा रहे हैं।
आदेश में कहा गया, 'इस मामले में पुलिस द्वारा पेश किया गया वीडियो एक बहुत ही महत्वपूर्ण सवाल उठा रहा है; 'क्या हमारे समाज को पहले कोविड-19 की महामारी की अंधाधुंध ताकत से निपटने की जरूरत है या इस तरह के लोगों से, जो इतनी नफरत से भरे हुए हैं कि अगर उन्हें मौका दिया गया तो वे अपनी धार्मिक घृणा के आधार पर निर्दोष लोगों की जान लेने के लिए एक
सामूहिक हत्यारे की भीड़ को संगठित करेंगे।'
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