नई दिल्ली : ज्ञानवापी मामले को लेकर हिंदू पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल किया। उसने कहा कि औरंगजेब ने मंदिर पर जबरन कब्जा किया। उसने कोई वक्फ नहीं बनाया। विशेश्वर के स्वामित्व पर उसका कोई हक नहीं है। ज्ञानवापी की संपत्ति आदि विशेश्वर की है। हिंदू पक्ष ने मस्जिद समिति की याचिका खारिज करने की मांग की। हिंदू पक्ष ने कहा कि यह जमीन किसी मुसलमान के नाम से नहीं है।
गौर हो कि सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को वाराणसी की दीवानी अदालत से ज्ञानवापी मामले में आगे की सुनवाई तब तक नहीं करने को कहा, जब तक कि वह शुक्रवार को इस मामले पर सुनवाई नहीं कर लेता। न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा की बैंच को वकील विष्णु शंकर जैन ने बताया कि दीवानी मामले में हिंदू श्रद्धालुओं की ओर से पेश होने वाले मुख्य अधिवक्ता हरिशंकर जैन अस्वस्थ हैं। उन्हें बुधवार को एक अस्पताल से छुट्टी मिली थी। बैंच ने अपने आदेश में कहा कि हम तदनुसार निचली अदालत को उपरोक्त व्यवस्था के अनुरूप कार्य करने और पक्षकारों के बीच बनी सहमति के मद्देनजर मुकदमे में आगे की सुनवाई नहीं करने का निर्देश देते हैं। न्यायालय ने मामले को 20 मई को अपराह्न तीन बजे उसके समक्ष सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया और कहा कि रजिस्ट्री भारत के प्रधान न्यायाधीश से प्रशासनिक निर्देश ले सकती है ताकि बैंच गठित की जाए।
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दूसरी ओर ज्ञानवापी परिसर के वीडियोग्राफी सर्वे के लिए बनारस की अदालत द्वारा गठित आयोग ने अपनी रिपोर्ट गुरुवार को अदालत को सौंप दी। हिंदू पक्ष के वकील मदन मोहन यादव ने बताया कि विशेष वकील कमिश्नर विशाल सिंह ने 14, 15 और 16 मई को किए गए सर्वे कार्य की रिपोर्ट जिला सिविल न्यायाधीश रवि कुमार दिवाकर की अदालत में पेश की। यादव ने बताया कि अदालत द्वारा हटाए गए अधिवक्ता आयुक्त अजय मिश्रा ने छह व सात मई को की गई ज्ञानवापी परिसर की सर्वेक्षण रिपोर्ट बुधवार देर शाम अदालत को सौंप दी थी।
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विशेष वकील कमिश्नर विशाल सिंह ने रिपोर्ट पेश करने के बाद पत्रकारों से कहा कि मैंने 14, 15 और 16 मई की रिपोर्ट अदालत में प्रस्तुत कर दी है। रिपोर्ट में क्या है यह मुझे बताने का अधिकार नहीं है। अब रिपोर्ट पर आगे की कार्यवाही अदालत करेगी। विशाल सिंह ने कहा कि वीडियोग्राफी और ‘स्टिल फोटोग्राफी’ (तस्वीर) के चिप वाले सीलबंद बक्से के साथ दस्तावेज भी जमा किए गए हैं। हालांकि, उन्होंने रिपोर्ट का कोई विवरण नहीं दिया। उन्होंने कहा कि मेरी तरफ से यह अंतिम रिपोर्ट है। अगर अदालत को लगता है कि यह पर्याप्त है तो ठीक है, अन्यथा किसी और आवश्यकता के लिए अदालत के निर्देश पर कार्रवाई की जाएगी।
सोशल मीडिया पर वायरल की जा रही एक कथित रिपोर्ट के बारे में पूछे जाने पर सिंह ने कहा कि जब तक वह रिपोर्ट पेश नहीं की गई थी तब तक वह गोपनीय थी। अब मैंने उसे प्रस्तुत कर दिया है तो उस मामले को दोनों पक्ष देखेंगे। आप भी अदालत से एक प्रति लेकर उसे देख सकते हैं।
उल्लेखनीय है कि ज्ञानवापी मस्जिद प्रतिष्ठित काशी विश्वनाथ मंदिर के करीब स्थित है। स्थानीय अदालत महिलाओं के एक समूह द्वारा इसकी बाहरी दीवारों पर बने विग्रहों की दैनिक पूजा अर्चना की अनुमति की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही है।
ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी परिसर का वीडियोग्राफी सर्वे कार्य सोमवार को पूरा किया गया था। सर्वे के अंतिम दिन हिंदू पक्ष ने दावा किया था कि मस्जिद के वजूखाने में एक कथित शिवलिंग मिला है। मगर मुस्लिम पक्ष ने यह कहते हुए इस दावे को गलत बताया था कि मुगल काल की तमाम मस्जिदों में वजूखाने के ताल में पानी भरने के लिये नीचे एक फौव्वारा लगाया जाता था और जिस पत्थर को शिवलिंग बताया जा रहा है, वह फौव्वारे का ही एक हिस्सा है।
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