काशी: ज्ञानवापी परिसर में मंदिर या मस्जिद, इसे लेकर एक तरफ कानून लड़ाई चल रही है तो दूसरी साधु संतों के ऐलान ने प्रशासन की परेशानी बढ़ा दी है। आज स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने ज्ञानवापी परिसर में पूजा करने का ऐलान किया है। परिसर में मिली आकृति को शिवलिंग मानते हुए उस पर जल चढ़ाने की घोषणा के बाद मामला अब गर्मा गया है। साधु संतों के ऐलान के बाद वाराणसी कमिश्नरेट पुलिस ने सख्त रुख अख्तियार किया है। पुलिस ने किसी को दर्शन-पूजन की इजाजत नहीं दी है।
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती की पूजा करने की जिद को देखते हुए पूरे इलाके में सुरक्षा बढ़ा दी गई है। ज्ञानवापी मस्जिद में मिली आकृति की पूजा के साधु संतों के ऐलान के बाद काशी में टेंशन बढ़ गई है। आलम ये है कि पहले से तैनात तीन स्तरीय सुरक्षा को बढ़ाकर चार से पांच स्तरीय सुरक्षा में तब्दील कर दिया गया है। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के ऐलान के बाद उनके श्रीविद्दा मठ के बाहर भी कड़ा पहरा है।
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पुलिस का कहना है कि मामला कोर्ट में विचाराधीन है लिहाजा दर्शन-पूजन की अनुमति नहीं दी जा सकती। जिस जगह आकृति मिली है वो जगह कोर्ट के आदेश पर सील है। हालांकि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि पुलिस की अपील के बाद उन्होंने अपने साथ जाने वाले लोगों की संख्या कम कर दी है। योजना के मुताबिक श्रीविद्या मठ से 71 लोगों के साथ जत्था निकलेगा इनमे एक ब्रह्मचारी, पूजन सामग्री के साथ 64 भक्त और साथ में 5 पंडित रहेंगे।
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4 जुलाई को ज्ञानवापी पर दायर याचिका सुनने योग्य है या नहीं इस पर जिला जज की कोर्ट में सुनवाई होनी है। मगर, इससे पहले ज्ञानवापी में पूजा के साधु संतों के ऐलान से माहौल बिगड़ने की आशंका है। लिहाजा, पुलिस-प्रशासन मुस्तैद है।
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