Gyanvapi-Taj Mahal-Mathura-Dhar Dispute:बृहस्पतिवार (12 अप्रैल) का दिन मंदिर-मस्जिद को लेकर चल रहे विवाद के लिए बेहद अहम रहा है। कोर्ट ने बनारस के ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वे को लेकर, ताज महल के बंद 22 दरवाजों को खोलने और मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद को लेकर अहम फैसले और निर्देश दिए। इसी कड़ी में एक अहम सुनवाई बीते बुधवार को हुई । जिसमें मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने धार भोजशाला-कमल मौला मस्जिद विवाद पर निर्देश दिए हैं। इन 4 मामलों में कोर्ट का रूख, निश्चित तौर पर हिंदू और मुस्लिम समुदाय को लोगों को विशेष संदेश देता है। खास तौर से उन लोगों को जो इन विवादों की अगुआई कर रहे हैं। तो आइए समझते हैं कोर्ट के फैसलों का क्या संदेश है..
ज्ञानवापी मस्जिद सर्वे
ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे पर बनारस में कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा तीन सदस्यीय टीम सर्वे का काम पूरा कर, 17 मई को अपनी रिपोर्ट अदालत को सौंपेगी। इसके अलावा कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की मांग के आधार पर दो और कमिश्नर की नियुक्ति करने के आदेश दिए है। लेकिन उसके कमिश्नर बदलने की मांग को खारिज कर दिया है। साथ ही यह भी कहा है कि सर्वे टीम मस्जिद परिसर के हर हिस्से की वीडियोग्राफी करेगी। सर्वे का काम रोजाना सुबह आठ बजे से 12 बजे तक होगा। कोर्ट ने यह भी साफ कर दिया कि सर्वे का काम रुकना नहीं चाहिए। यदि कोई सर्वे के काम में अवरोध उत्पन्न करता है तो उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए।
क्या है संदेश: असल में कोर्ट के आदेश के बाद जब मस्जिद में बीते शुक्रवार को सर्वे का काम शुरू हुआ था, तो वह केवल एक दिन ही चल पाया था। और लोगों के विरोध और मुस्लिम पक्ष के कोर्ट जाने के बाद सर्वे का काम रूक गया था। मुस्लिम पक्ष की मांग थी इकलौते कमिश्नर अजय मिश्रा को बदल दिया जाय। लेकिन कोर्ट ने ऐसा नहीं करते हुए दो और कमिश्नर की नियुक्ति कर दी है। और अब सर्वे में अड़ंगा डालने पर कार्रवाई करने के भी निर्देश दिए हैं। इसका सीधा मतलब है कि कोर्ट ने साफ कर दिया है कि उसके आदेश का पालन हर हाल में करना होगा। और इसके लिए किसी को कोई सहूलियत नहीं मिलेगी।
ताज महल के 22 दरवाजे खोलने का मामला
इस मामले पर आज हुई सुनवाई में इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने काफी सख्त रवैया अपनाया। और उसने ताज महल के 22 बंद दरवाजों को खोलने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी है। कोर्ट ने कहा कि यह न्यायालय का काम नहीं है कि वह निर्देश दे कि किस विषय पर शोध या अध्ययन करने की आवश्यकता है। उसने कहा कि हमारी राय है कि याचिकाकर्ता ने हमें पूरी तरह से एक गैर-न्यायसंगत मुद्दे पर फैसला देने के लिए कहा है।
कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि वह PIL व्यवस्था का दुरुपयोग न करें। पहले यूनिवर्सिटी जाएं, पीएचडी करें, तब कोर्ट आएं। और अगर कोई रिसर्च करने से रोके, तब हमारे पास आए। कोर्ट कहा कि कल को आप आएंगे और कहेंगे कि आपको जजों के चैंबर में जाना है, तो क्या हम आपको चैंबर दिखाएंगे? इतिहास आपके मुताबिक नहीं पढ़ाया जाएगा।
क्या है संदेश: कोर्ट की टिप्पणी से साफ है कि बिना किसी ठोस मुद्दे के अगर याचिका दायर की जाएगी, तो उसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। साथ ही कोर्ट के फैसले से यह भी संदेश गया है कि इतिहास को तोड़ा-मरोड़ा नहीं जाय।
मथुरा श्रीकृष्ण जन्म भूमि विवाद
मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आज अहम फैसला सुनाया। उसने निचली अदालत को निर्देश दिया है कि विवाद से जुड़ी सभी अर्जियों को जल्द से जल्द निपटाया जाय। इन सभी मामलों को अधिक से अधिक 4 महीने में निपटाने के निर्देश दिए हैं। श्रीकृष्ण जन्मभूमि में बनी शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने की मांग काफी लंबे समय से चली आ रही है।
क्या है संदेश: कोर्ट इस विवाद को लंबा खिंचने देना नहीं चाहता है। इसीलिए उसने निचली अदालत को निर्देश दिए हैं कि इससे जुड़ी सभी अर्जियों को 4 महीने के अंदर निपटाया जाय। जिससे कि यह मामला ज्यादा तूल नहीं पकड़े।
भोजशाला-कमल मौला मस्जिद विवाद
मंदिर-मस्जिद विवाद में एक और अहम फैसला बुधवार को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने सुनाया है। असल में हाईकोर्ट की इंदौर पीठ ने भोजशाला-कमल मौला मस्जिद विवाद से जुड़ी याचिका को स्वीकार कर लिया है। और इस संबंध में केंद्र और राज्य सरकार, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग और दूसरे संबंधित पक्ष को नोटिस भेजा है। साफ है कि अब कोर्ट इस मामले की सुनवाई करेगा।
असल में मध्य प्रदेश के जिले में स्थित कमल मौला मस्जिद पर भी विवाद है। हिंदू धर्म के लोग इसे भोजशाला कहते है। और उनका कहना है कि यह माता सरस्वती का प्राचीन मंदिर हैं, जबकि मुस्लिम इसे अपनी इबादतगाह यानी मस्जिद बताते हैं। 1997 से पहले हिंदुओं को यहां पूजा करने का अधिकार नहीं था। केवल दर्शन करने की इजाजत थी। लेकिन अब हिंदुओं को हर मंगलवार और वसंत पंचमी पर पूजा करने और मुस्लिमों को हर शुक्रवार को नमाज पढ़ने की इजाजत दी है। अब याचिका में कहा गया है कि हिंदुओं को हर पूजा करने की अनुमति मिले और मुस्लिम समाज से नमाज पढ़ने का हक वापस ले लिया जाय।
क्या है संदेश: कोर्ट द्वारा याचिका स्वीकार करने का सीधा मतलब है कि अब इस मामले पर सुनवाई होगी और इस संबंध में कोर्ट में दोनों पक्ष अपनी दलील देंगे और साथ ही भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को जरूरी साक्ष्य पेश करने कहा जा सकता है।
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