14 जून 2020 को बॉलीवुड स्टार सुशांत सिंह राजपूत की मुंबई के अपने ही घर में संदिग्ध अवस्था में मौत हो गई। अभी तक यह साफ़ साफ़ स्पस्ट नहीं हो पाया है कि सुशांत की मौत आत्मा हत्या से हुई या हत्या से। सुशांत की मौत के कारण पर दो पक्ष है। एक पक्ष है मुंबई पुलिस, महाराष्ट्र की अगाढ़ी सरकार और इस सरकार के घटक शिव सेना , काँग्रेस और शरद पवार की राष्ट्रवादी काँग्रेस इसे पहले ही दिन से आत्मा हत्या मान रहे हैं । इसी तर्क ने हजारों सवाल खड़े कर दिये हैं क्योंकि सुशांत की मौत की जांच के पहले ही आत्म हत्या करार दे दिया गया ।
दूसरा पक्ष है सुशांत का परिवार, बिहार सरकार, आम बिहारी और असंख्य फैंस सुशांत के मौत को किसी एंगल से आत्म हत्या मानने को तैयार नहीं है बल्कि उनका कहना है कि सुशांत की मौत आत्म हत्या नहीं बल्कि हत्या है । इसी संदेह की वजह से सुशांत के पिता के के सिंह ने सुशांत की मौत के 38 वें दिन पटना में एफ आई आर दर्ज किया क्योंकि मुंबई पुलिस ने दो महीने बीत जाने के बाद भी अभी तक एक एफ आई आर दर्ज नहीं किया है । उसके बाद बिहार सरकार ने सुशांत के परिवार के आग्रह पर सुशांत केस को सी बी आई को हैंड ओवर करने का फैसला कर लिया जिसे केंद्र की मोदी सरकार ने सहश्र स्वीकार भी कर लिया। अब तो मामला सूप्रीम कोर्ट में पहुँच चुका है।
(तस्वीर साभार- इंस्टाग्राम)
सुप्रीम कोर्ट को फैसला करना है कि सुशांत केस की जांच कौन करेगा। सी बी आई या मुंबई पुलिस? कुल मिलाकर सुशांत सिंह राजपूत की मौत ने दो राज्यों के बीच सीधे सीधे जंग छेड़ दिया है एक तरफ बिहार और दूसरी तरफ महाराष्ट्र । बिहार सरकार का कहना है कि सुशांत केस कि जांच सी बी आई करेगी और महाराष्ट्र सरकार का कहना है कि सुशांत केस की जांच मुंबई पुलिस करेगी। खैर इस मामले में आखिरी फैसला सूप्रीम कोर्ट को ही लेना है। हाँ ये जरूर है कि यदि सूप्रीम कोर्ट सी बी आई के पक्ष में फैसला देती है तो बिहार की जीत माना जाएगा और महाराष्ट्र की हार। और हाँ यदि सूप्रीम कोर्ट मुंबई पुलिस के पक्ष में फैसला देती है तो महाराष्ट्र की जीत माना जाएगा और बिहार की हार।
सुशांत सिंह राजपूत 'बिहारी अस्मिता' के प्रतीक
ये जरूर है कि सुशांत का परिवार, बिहार की जनता और बिहार सरकार सुशांत की मौत के बाद 37 दिन तक इंतजार करती रही कि मुंबई पुलिस और महाराष्ट्र की सरकार सुशांत की मौत को ईमानदारी से जांच को अंतिम अंजाम तक जरूर पहुंचाएंगे लेकिन ऐसा हुआ नहीं बल्कि 37 दिन तक एक एफ आई आर भी नहीं किया गया और मान लिया गया किसुशांत सिंह राजपूत ने आत्म हत्या की है और उसी थियरि को साबित करने का प्रयास किया जाता रहा। अंततः सुशांत के परिवार ने 38 वें दिन पटना में एफ आई आर दर्ज किया और उस एफ आई आर ने मुंबई पुलिस और महाराष्ट्र की सरकार को कान खड़े कर दिए। उसके बाद महाराष्ट्र ने सबसे पहले ये कहा कि पटना में किया गया एफ आई आर कानूनी रूप में गलत है क्योंकि क्राइम मुंबई में हुआ है ना कि पटना में । लेकिन इस सच्चाई को भूल गए कि सुशांत पटना का रहने वाला है और उसके 74 वर्षीय पिता में ही रहते हैं।
(तस्वीर साभार- इंस्टाग्राम)
सुशांत के पिता को जब लगा कि यदि मुंबई पुलिस और महाराष्ट्र सरकार ईमानदारी से जांच नहीं करा पा रही है तो उनके लिए एक ही रास्ता बचा कि वो खुद ही पटना में एफ आई आर करें और उसके बाद सी बी आई जांच के लिए बिहार सरकार को आग्रह किया जिसे बिहार सरकार ने स्वीकार कर लिया । शिव सेना के नेता ने सबसे पहले पटना में एफ आई आर पर सवाल खड़े किए। उसके बाद शिव सेना के राज्य सभा सांसद संजय राऊत ने सुशांत के पिता के के सिंह के चरित्र पर ही सवाल खड़े कर दिए कि उनकी दो शादी है। इतना ही नहीं बल्कि यहाँ कह डाला कि दूसरी शादी के बाद सुशांत का अपने पिता से अच्छे संबंध नहीं थे। और तो और उसके बाद संजय राऊत ने धमकी तक दे डाली कि यदि न्याय चाहे हो तो चुप रहो यानि ज्यादा बोलोगे तो न्याय भी नहीं मिलेगा। और उसके बाद फिर क्या था पूरे बिहार में बवाल खड़ा हो गया और वो बवाल महाराष्ट्र सरकार के खिलाफ ।
सुशांत की मौत ने बिहार की सभी राजनीतिक दलों को एक मंच पर खड़ा कर दिया
बिहार की सभी राजनीतिक दलों ने एक स्वर से मांग करने लगी कि सुशांत की मौत का जांच सी बी आई करे क्योंकि मुंबई पुलिस और महाराष्ट्र की सरकार सुशांत की मौत के असली गुनहगार को बचा रही है इसीलिए सुशांत की मौत को आत्म हत्या साबित करने में लगी है । जेडीयू, भाजपा, आरजेडी, काँग्रेस( बिहार काँग्रेस सी बी आई की जांच चाहती है जबकि महाराष्ट्र काँग्रेस सी बी आई जांच का विरोध कर रही है), एलजेपी और अन्य सभी पार्टियां सी बी आई से जांच और यही कारण है कि नितीश कुमार की सरकार ने सुशांत केस को सी बी आई को हैंड ओवर करने का फैसला कर लिया ।
सुशांत दूसरे ‘बिहारी बाबू ‘ इन मेकिंग थे
बिहार से बॉलीवुड में कई लोग गए हैं लेकिन शत्रुघन सिन्हा पहले बिहारी हैं जिन्होने अपनी एक पहचान बनाई और बिहारी बाबू के रूप में अपनी पहचान बनाई । प्रकाश झा हों या मनोज बाजपई ये लोग अपने को उस अस्मिता से नहीं जोड़ पाये जो शत्रुघन सिन्हा कर पाये। हाँ ये सच है कि सुशांत सिंह राजपूत शत्रुघन सिन्हा की तरह अपने को अभी ‘बिहारी बाबू ‘ के अपने को स्थापित नहीं कर पाये थे लेकिन सच ये भी है कि सुशांत अभी शुरुवाती दौर में थे आगे जा कर वो कारनामे जरूर करते। लेकिन समय से पहले ही सुशांत दुनियाँ से चले गए।
भरोसा सीबीआई जांच पर ना कि मुंबई पुलिस पर
सुशांत का परिवार, बिहार सरकार, बिहार की जनता और पूरे देश को मुंबई पुलिस की जांच से भरोसा उठ गया है । इसका कारण ये है कि पिछले दो महीने में जिस तरह से मुंबई पुलिस ने जांच को ठीक से नहीं करने का अंजाम दिया है उससे तो यही लगता है कि मुंबई पुलिस सुशांत की जांच में पूरी तरह से फेल हो गयी है। इसी लिए अब भरोसा सिर्फ सी बी आई पर है जो सुशांत केस को पूरी ईमानदारी से जांच करते हुए अंतिम अंजाम पर पहुंचा पाएगी। अतः सी बी आई से जांच कराना ही एकमात्र विकल्प है।
सुशांत की मौत ने पूरे बिहारी कुनबे को जगा दिया है
सुशांत की मौत के बाद पूरे बिहारी कुनबे को ऐसा लग रहा है कि बिहार ने अपने एक सुपर स्टार को खो दिया है। इतना ही नहीं बिहार के हर युवा को लग रहा है कि बिहार के एक यंग ड्रीम को एक साजिश के तहत कुचल दिया गया है । यानि बॉलीवुड में यदि आप किसी बॉलीवुड परिवार से नहीं जुड़े है तो आप के लिए वहाँ कोई जगह नहीं है । और यदि सुशांत जैसे एक होनहार आउट साइडर अपनी जगह बनाने कि कोशिश करता है तो बॉलीवुड के तथाकथित पुरोधा उसे स्वीकार करने को तैयार नहीं होते क्योंकि तथाकथित बॉलीवुड परिवार को आउट साइडर में थ्रेट दिखता है ना कि अवसर। इसी थ्रेट का भाव ने सुशांत जैसे बिहारी कलाकार को कुचल दिया। और यही कारण है कि सुशांत की मौत ने पूरे बिहारी कुनबे को जगा दिया है।
सुशांत और आगामी विधान सभा चुनाव
सुशांत जैसे पोतेंसियल सुपर स्टार की संदिग्ध मौत ने बिहार में राजनीतिक हवा को गरमा दिया है। इसके दो कारण हैं पहला मुंबई पुलिस की नाकामी और महाराष्ट्र के नेताओं के द्वारा अनाप शनाप बयानवाजी। पटना में एफ आई आर पर सवाल, सुशांत के परिवार पर सवाल और सुशांत के परिवार को धमकी देने जैसे बयानों से बिहार में एक अलग तरह का राजनीतिक वातावरण बन गया है। बिहार की सभी राजनीतिक पार्टियां सुशांत की मौत की जांच सिर्फ सी बी आई से चाहती है क्योंकि सभी दलों को त्यही लगता है कि यदि जांच ठीक से नहीं हुई तो मतदाता नेताओं से पूछेंगे कि आप ने सुशांत कि मौत की जांच के लिए क्या किया। और यही कारण है नितीश सरकार ने बिना देरी किए सुशांत केस को तत्काल सी बी आई को हैंड ओवर कर दिया।
और यही कारण है कि सुशांत सिंह राजपूत 'बिहारी अस्मिता' के प्रतिक बन गए हैं। हाँ एक बात जरूर है कि बिहार के साथ साथ सम्पूर्ण देश यही चाहता है कि सुशांत सिंह राजपूत की मौत का सही सही जांच हो और ये पता चले कि सुशांत की मौत आत्म हत्या है या हत्या। और दोषी जो भी हो उसे उचित सजा मिले।
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