हाथरस कांड की जांच कर रही प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच में बताया जा रहा है कि मॉरिशस से फंडिंग की गई थी और प्रदेश को दंगों में झोंकने की तैयारी थी। इसको लेकर सूबे के मुखिया प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने कड़े शब्दों में चेतावनी देते हुए कहा है कि प्रदेश में किसी भी साजिश को सफल नहीं होने दिया जाएगा और इसके खिलाफ कड़े कदम उठाए जायेंगे।सीएम ने कहा कि हम किसी के भरोसे के साथ किसी को भी खिलवाड़ करने की इजाजत नहीं देंगे।
खबरों के मुताबिक बताया जा रहा है कि ईडी की शुरुआती जांच में पता चला है कि हाथरस कांड की आड़ में जातीय हिंसा फैलाने के लिए मॉरीशस से भारी तादात में पैसों की फंडिंग की गई है ताकि प्रदेश में जातीय दंगे फैलाए जा सकें।
सीएम योगी ने कहा कि हम ऐसे लोगों पर सख्त से सख्त कार्रवाई करेंगे, जो समाज में विद्वेष पैदा करके विकास को रोकना चाहते हैं। सीएम बोले कि अब उत्तर प्रदेश तेजी से आगे बढ़ रहा है। आजादी के बाद सिर्फ दो एक्सप्रेसवे बन पाया था, लेकिन तीन सालों में तीन नए एक्सप्रेसवे बन रहे हैं। 2014 तक यूपी में सिर्फ दो एयरपोर्ट काम कर रहे थे, अब सात एयरपोर्ट काम कर रहे हैं, बारह नए एयरपोर्ट पर का काम शुरू हो गया है।
गौरतलब है कि हाथरस मामले में एक नया खुलासा हुआ था जब सुरक्षा एजेंसियों के हाथ इस बात के सबूत लगे थे जिसमें कहा जा रहा है कि हाथरस की घटना का इस्तेमाल करके उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सरकार को जातिगत आधार पर बदनाम करने की साजिश रची गई थी और इसी बहाने दंगे भड़काने की भी कोशिश की गई थी,इस मामले के सामने आने के बाद अब कहा जा रहा है कि जिस वेबसाइट का सहारा लेकर प्रदेश भर में जातीय दंगा फैलाने की कोशिश की गई, उसकी फंडिंग की जांच प्रवर्तन निदेशालय कर रहा है जिसमें ये बात सामने आ रही है कि दंगा भड़काने के लिए मॉरिशस से फंडिंग की गई है।
सरकारी सूत्रों ने कहा था कि एजेंसियों ने एक ऐसी वेबसाइट का पता लगाया है जिसमें हाथरस को लेकर कई जानकारियां दी गई थी। justiceforhathrasvictim.carrd.co नाम से अचानक बनी इस वेबसाइट में बताया गया था कि कैसे सुरक्षित रूप से विरोध किया जाए और पुलिस के चंगुल से बचा जाए। इसके साथ-साथ इसमें सभी लोगों से जुड़ने का आग्रह किया। इसके अलावा इसमें बताया गया था कि क्या करना है और क्या नहीं। वहीं इसमें दंगों के दौरान सुरक्षित रहने और आंसू गैस के गोले दागने और गिरफ्तारी होने पर उठाए जाने वाले कदमों का जिक्र किया गया है। इस संबंध में पुलिस ने आईपीसी, आईटी अधिनियम, और अन्य के कई प्रासंगिक धाराओं के तहत एक मामला 3 अक्टूबर को दर्ज किया था।
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