Hathras Case को यूं ही हाथ से नहीं जाने देना चाहती हैं प्रियंका, तय रणनीति पर आगे बढ़ रही है कांग्रेस

देश
किशोर जोशी
Updated Oct 03, 2020 | 10:12 IST

हाथरस मामले को लेकर कांघ्रेस ने एक सोची समझी रणनीति बनाई है और इसी पर वह आगे बढ़ रही है। हाथरस के बहाने कांग्रेस की नजर वाल्मिकी समाज के वोटों पर भी है।

Hathras Case Priyanka Gandhi and Congress moving toward the fixed strategy
Hathras को लेकर सोची समझी रणनीति पर आगे चल रही हैं प्रियंका 
मुख्य बातें
  • हाथरस मामले को लेकर कांग्रेस ने अपनाई हुई है सोची समझी रणनीति
  • हाथरस के बहाने सपा और बसपा की निष्क्रिया का फायदा उठाने को कोशिश में भी कांग्रेस
  • कांग्रेस नेता राहुल गांधी आज भी हाथरस जाने की कोशिश में

नई दिल्ली: हाथरस मामले को कांग्रेस किसी भी तरह से हाथ से नहीं जाने देना चाहती है। पार्टी इस मामले को लेकर लगातार यूपी सरकार पर आक्रामक रूख अपनाए हुए है। समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी जहां इस मुद्दे को लेकर सोशल मीडिया पर ही ज्यादा सक्रिय दिखाई दे रहे हैं वहीं कांग्रेस जमीन पर उतरकर मुद्दे को जिंदा रखना चाहती है। इसी रणनीति के तहत आज कांग्रेस नेता और सांसद राहुल गांधी हाथरस जाकर पीड़ित परिवार से मुलाकात करेंगे। इस दौरान उनके साथ कांग्रेस सांसद भी मौजूद रहेंगे। 

यूपी को लेकर प्रियंका गांधी लंबे समय से सक्रिय
यूपी को लेकर प्रियंका गांधी पिछले काफी लंबे समय से सक्रिय है। यूपी में अगर कोई भी घटना होती है तो प्रियंका का ट्वीट तुरंत होता है। यह उस समय भी देखने को मिला था जब प्रवासी मजदूरों को लेकर प्रियंका गांधी ने योगी सरकार पर हमला बोला था औऱ मजदूरों के लिए एक हजार बसों को भेजने का प्रस्ताव दिया था जिसे यूपी सरकार ने स्वीकार भी किया लेकिन बाद में जब इन बसों की डिटेल्स मांगी तो कई खामियां पाई गईं। कांग्रेस ने कुछ बसें भेज दी थी लेकिन खामियों का हवाला देते हुए इन्हें सरकार ने अनुमति नहीं दी थी।

दलित वोट बैंक पर नजर
दरअसल हाथरस के बहाने कांग्रेस की नजर दलित वोट बैंक पर भी जो कभी उसका परंपरागत वोट बैंक हुआ करता था। बीजेपी की सोशल इंजीनियरिंग की वजह से ये वोट बैंक कांग्रेस से छिटक गया। अब हाथरस मामले को लेकर बीजेपी के खिलाफ वाल्‍मीकि समाज के लोगों में नाराजगी है तो ऐसे में कांग्रेस मुद्दे को लपककर यह दिखाना चाह रही है कि बीजेपी दलित विरोधी है। जब गुरुवार को प्रियंका गांधी को हाथरस नहीं जाने दिया तो वह शुक्रवार को दिल्‍ली के एक वाल्‍मीकि मंदिर पहुंच गईं। साफ है कि आने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पूरे दमखम के साथ चुनाव लड़ना चाहती है और दलित वोट बैंक को वापस पाना चाहती है।

राजस्थान पर चुप्पी
प्रियंका और राहुल जहां हाथरस के मामलों को लेकर लगातार आक्रामक रूख अपनाए हुए हैं वहीं राजस्थान में तीन दिन में 16 से अधिक रेप और दुष्कर्म के मामलों को लेकर चुप्पी साधे हुए हैं। दरअसल राजस्थान में कांग्रेस सरकार है और वहां भी यूपी की तरह हुए मामलों पर राहुल प्रियंका की चुप्पी सवाल खड़े करती हैं। जिससे साफ होता है कि हाथरस कांग्रेस के लिए इंसाफ से ज्यादा वोटों की लड़ाई का मामला है। इसी तरह की चुप्पी प्रवासी मजदूरों के पलायन के दौरान भी नजर आई थी जब राजस्थान और पंजाब की सड़कों पर सैंकड़ों की संख्या में मजदूर चल रहे थे लेकिन प्रियंका ने केवल यूपी के लिए बसें मंगवा दी।

सपा की निष्क्रियता का फायदा उठाने की कोशिश
2017 के विधानसभा चुनावों में भाजपा ने बड़ी जीत दर्ज करते हुए अपने बूते पर सरकार बनाई थी। बीजेपी की इस जीत के बाद से ही समाजवादी पार्टी और बपा से स्थानीय दल बिल्कुल निष्क्रिय नजर आए हैं। जिस समय विपक्ष को सड़कों पर होना था, उस समय ये दल कहीं नजर नहीं आए जिससे बीजेपी की राह आसान हुई। लेकिन अब कांग्रेस लगातार मुख्य विपक्षी दल के रूप में सक्रिय नजर आ रही है। उन्नाव हो या फिर हाथरस या फिर प्रवासी मजदूरों का मामला। इन सबमें कांग्रेस सबसे आगे रही हैं और उसकी इस कोशिश से कार्रकर्ताओं का भी मनोबल बढ़ा है।
 

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