नई दिल्ली: हाथरस पीड़िता के परिवार ने अपनी सुरक्षा को लेकर कई सवाल उठाए। उनका कहना था कि उनक सुरक्षा को खतरा है और वो गांव छोड़ने की सोच रहे हैं। हालांकि हाथरस प्रशासन पीड़ित परिवार की सुरक्षा बढ़ा दी है। हाथरस के SDM ने बताया, 'परिवार को ट्रिपल लेयर सुरक्षा दी गई है, साथ ही आज मेटल डिटेक्टर लगाए जा रहे हैं और परिवार की सहमति के बाद कुछ जगह पर सीसीटीवी कैमरे भी लगाए जा रहे हैं।'
दलित परिवार ने कि वे हाथरस के भुलगढ़ी गांव को छोड़ना चाहते हैं। वे इस त्रासदी के बाद से डर में जी रहे हैं कि वे अपने घर छोड़ने की योजना बना रहे हैं। पीड़िता के पिता और भाई ने 'इंडिया टुडे' से बात की और कहा कि उन्होंने पिछले कुछ सप्ताह गांव में डर के साथ गुजारे हैं। उन्होंने दावा किया कि त्रासदी के बाद से गांव का कोई भी व्यक्ति उनकी मदद के लिए आगे नहीं आया है।
पीड़िता के पिता ने कहा, 'हम किसी भी रिश्तेदार के यहां जाएंगे क्योंकि हम डरते हैं। हम कहीं भी जाएंगे। हमने कमाने के लिए यहां कड़ी मेहनत की। कहीं और करेंगे।' वहीं भाई ने कहा कि स्थिति इतनी खराब है और दबाव इतना है कि हमें गांव छोड़ना होगा। अफवाहें फैलाई जा रही हैं। छोटे भाई को भी जान से मारने की धमकी मिल रही है।
SIT को मिला और समय
वहीं दलित युवती के साथ कथित सामूहिक दुष्कर्म और मौत मामले की जांच के लिए गठित विशेष जांच दल (SIT) को अपनी रिपोर्ट सौंपने के लिए 10 दिन का और समय दिया गया है। गौरतलब है कि हाथरस में एक दलित लड़की से कथित रूप से सामूहिक बलात्कार के बाद उसकी मौत के मामले की जांच के लिए राज्य सरकार ने 30 सितंबर को एसआईटी का गठन किया था। उस वक्त उसे अपनी रिपोर्ट सौंपने के लिए सात दिन का समय दिया गया था।
'रेप नहीं हुआ'
हाथरस में 14 सितंबर को 19 साल की एक दलित लड़की से कथित रूप से सामूहिक बलात्कार किया गया था। इस दौरान उसके साथ मारपीट भी की गई थी। लड़की को पहले अलीगढ़ के जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था, जहां से तबीयत खराब होने पर उसे दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में दाखिल कराया गया था, जहां इलाज के दौरान 29 सितंबर को उसकी मौत हो गई थी। हालांकि अपर पुलिस महानिदेशक कानून-व्यवस्था प्रशांत कुमार ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट के हवाले से दावा किया कि लड़की के साथ बलात्कार नहीं हुआ है।
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