नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के हाथरस में दलित लड़की के साथ कथित गैंगरेप और मौत का मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है। इस बीच, रात में लड़की के अंतिम संस्कार किये जाने को लेकर यूपी सरकार तथा यूपी पर लगातार सवाल खड़े हो रहे हैं। लड़की के परिजनों का आरोप है कि अंतिम संस्कार के लिये उनकी सहमति नही ली गयी और पुलिस जबदरदस्ती शव को ले गयी। पीड़िता के भाई ने आरोप लगाया है कि परिवार अंतिम बार अपनी बेटी का चेहरा देखना चाह रहा था लेकिन उन्हें इस अधिकार से वंचित रखा गया।
हमारी मांग को किया गया अनसुना
एक टीवी चैनल से बात करते हुए पीड़िता के भाई ने कहा कि परिवार ने पुलिस से सुबह में अंतिम संस्कार करने की मांग की थी लेकिन उनकी मांग को अनसुना कर पुलिस ने रात में अंतिम संस्कार कर दिया। पीड़िता के भाई ने कहा, 'हमने पुलिस से सुबह शव का अंतिम संस्कार करने का अनुरोध किया क्योंकि तब तक आसपास के और रिश्तेदार आ जाते लेकिन उन्होंने हमें अपने घर में बंद कर लिया। हमें यह भी पता नहीं है कि वह किसकी बॉडी थी। हम यह नहीं जानते थे कि यह बॉडी है या कुछ और। हमें एम्बुलेंस के पास भी जाने की अनुमति नहीं थी।'
पुलिस झूठ बोल रही है- परिवार
पीड़िता के भाई ने बताया कि पुलिस के हाथापाई में परिवार की कई महिला सदस्य घायल हुई हैं। उन्होंने कहा, 'किसी ने हमें नहीं बताया कि रात में मृत शरीर को क्यों जलाया गया। सब कुछ जबरन किया गया, डीएम, एसडीएम और एसपी की मौजूदगी में। उन्होंने झूठ बोला कि परिवार के कुछ सदस्य अंतिम संस्कार में मौजूद थे। किसी भी राजनेता या अधिकारियों ने मेरी बहन को अच्छी चिकित्सा उपचार दिलाने में मदद नहीं की। हमें उसकी मेडिकल रिपोर्ट भी नहीं दी गई थी। उसके इलाज पर कोई ध्यान नहीं था। इसमें लापरवाही बरती गई थी।'
छोड़ना पड़ सकता है गांव
अपनी आपबीती बताते हुए पीड़िता के भाई ने कहा, 'हम इस गाँव में सुरक्षित नहीं हैं। वे हमारे साथ कुछ भी कर सकते हैं। हमें पुलिस या प्रशासन पर भरोसा नहीं है। हमारी आशंका अब और बढ़ गई है। हम पहले से कहीं अधिक उनके रडार पर हैं। वे (आरोपी) हमें जिंदा नहीं छोड़ेंगे। हमें गांव छोड़ना पड़ सकता है। हम राजनेताओं पर भरोसा नहीं करते हैं। परिवार चाहता है कि सभी आरोपियों को मौत की सजा मिले।'
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