गुजरात में कोरोना के मरीज XE वेरिएंट के मरीज की पुष्टि, घर पर ही हो रहा है इलाज

गुजरात मे कोरोना के मरीज XE वेरिएंट के मरीज की पुष्टि हुई है और उसका घर पर ही इलाज चल रहा है। इस बीच स्वास्थ्यय मंत्रालय ने जानकारी दी है कि महाराष्ट्र में एक्सई वैरिएंट नहीं बल्कि एक्सएम वेरिएंट है।

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गुजरात मे कोरोना के मरीज XE वेरिएंट के मरीज की पुष्टि, घर पर ही हो रहा है इलाज 
मुख्य बातें
  • गुजरात में एक्सई और एक्सएम वेरिएंट की पुष्टि
  • महाराष्ट्र में एक्सई नहीं बल्कि एक्सएम वेरिएंट
  • एक्सई वेरिएंट, ओमि्क्रॉन से 10 गुना संक्रामक

स्वास्थ्य मंत्रालय ने गुजरात में कोरोना के  XE और XM वेरिएंट और महाराष्ट्र में XM वेरिएंट की पुष्टि की है। इसके अलावा मंत्रालय ने गुजरात में पाए जाने वाले ओमाइक्रोन XM वेरिएंट के एक अन्य उप-वंश की पुष्टि की है।अधिकारियों ने महाराष्ट्र में भी पुष्टि की है कि पाया गया कि यहां XM वैरियंट है न कि एक्सई। स्वास्थ्य मंत्रालय और एनसीडीसी दोनों ही स्थिति पर कड़ी नजर रखे हुए हैं।

क्या है XE वेरिएंट

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO)के अनुसार XE वेरिएंट कोरोना के दो वैरिएंट BA.1 और BA.2 से मिलकर बना है। और यह BA.2 की तुलना में 10 गुना ज्यादा संक्रामक है। हालांकि इसकी गंभीरता पर अभी डब्ल्यूएचओ ने यही कहा है कि अभी इस मामले में और अध्ययन करना जरूरी है। इस समय दुनिया में BA.2 वेरिएंट के सबसे ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं। चीन, ब्रिटेन, जर्मनी, अमेरिका सहित दुनिया के दूसरे देशों में कोविड की नई लहर की वजह BA.2 वेरिएंट को बताया जा रहा है। यह BA.1 और BA.3 की तुलना में न केवल ज्यादा संक्रामक है। बल्कि इसके बारे में पता लगाना भी आसान नहीं है। इसलिए BA.2 को 'स्टील्थ वेरिएंट' भी कहा जा रहा है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार इस समय यह पूरी दुनिया के संक्रमण के 86 फीसदी मामलों के लिए जिम्मेदार है। ऐसे में शुरूआती जांच में यही बात सामने आई है कि BA.2 की तुलना में XE वेरिएंट 10 गुना ज्यादा संक्रामक है। अभी तक कोरोना के तीन हाइब्रिड स्ट्रेन की पहचान हो चुकी हैं। जो कि XD,XFऔर  XE वेरिएंट हैं।

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क्या हैं लक्षण
अभी इस वेरिएंट पर अध्ययन ही चल रहा है। ऐसे मे बुखार, गले में खरास, खांसी, बलगम और सर्दी, पेट की समस्या जैसे शुरूआती लक्षण दिख सकते हैं। इसके अलावा पहले से गंभीर रोगों से पीड़ित लोगों में नया वेरिएंट ज्यादा खतरनाक हो सकता है। चूंकि यह ओमीक्रॉन का ही म्यूटेशन है इसलिए इस बात की पूरी संभावना है कि नए वेरिएंट पर वैक्सीन का असर होगा। क्योंकि भारत में तीसरी लहर के दौरान बड़ी संख्या में वैक्सीनेशन होने की वजह से ओमीक्रॉन का असर दूसरी लहर जैसा नहीं हुआ था।

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