बिलकिस बानो दोषियों की रिहाई मामले में गुजरात सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों की रिहाई को चुनौती देने वाली याचिका पर गुजरात सरकार से राय मांगी है। बिलकिस बानो गैंगरेप मामले में 11 दोषियों की रिहाई को चुनौती देने वाली सुभाषिनी अली के नेतृत्व में 3 कार्यकर्ताओं की याचिका पर सुनवाई हो रही थी। बता दें कि 11 आरोपियों/ दोषियों को जब पैनल की सिफारिश पर रिहा किया गया तो उसका जबरदस्त विरोध हुआ था। वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि वो सजा में मिली छूट को चुनौती दे रहे हैं। उन्होंने अदालत से कहा कि एक गर्भवती महिला से रेप हुआ और उसके परिवार के 14 लोग मारे गए। उनकी दलील पर चीफ जस्टिस एनवी रमन ने कहा कि हम इस मामले को देखेंगे। सामाजिक कार्यकर्ता सुभाषिनी अली, रेवती लाल, रूप रेखा वर्मा की ओर से कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है। तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने भी अर्जी दायर की है।
सुप्रीम कोर्ट में जिरह
बिलकिस बानो ने क्या कहा था
दोषियों को रिहा किये जाने के फैसले के बाद बिलकिस बानो ने कहा था कि इतना बड़ा और अन्यायपूर्ण फैसला लेने से पहले किसी ने उनकी सुरक्षा के बारे में नहीं पूछा । गुजरात सरकार से इसे बदलने और ‘बिना डर के शांति से जीने’का अधिकार देने को कहा। बिलकिस बानो की ओर से उनकी वकील शोभा ने कहा था कि दो दिन पहले 15 अगस्त, 2022 को जब मैंने सुना कि मेरे परिवार और मेरी जिन्दगी बर्बाद करने वाले, मुझसे मेरी तीन साल की बेटी को छीनने वाले 11 दोषियों को आजाद कर दिया गया है तो 20 साल पुराना भयावह अतीत एक बार फिर सामने आ गया है।
ओवैसी ने भी फैसले पर कसा था तंज
AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने गुरुवार को कहा था कि भाजपा की नीति बलात्कारियों के साथ खड़े रहने की है, चाहे वह गुजरात में हो या कठुआ में। जहां कुछ लोगों की जाति अपने अपराध की जघन्य प्रकृति के बावजूद जेल से अपनी रिहाई को सुरक्षित कर सकती है, वहीं कुछ अन्य लोगों की जाति या धर्म उन्हें 'बिना सबूत के कैद' करने के लिए पर्याप्त है, ओवैसी ने भाजपा विधायक की टिप्पणी पर टिप्पणी करते हुए कहा कि बिलकिस बानो के बलात्कारी ब्राह्मण हैं 'संस्कार' के साथ।
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