हिजाब मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है। हिजाब के समर्थन में वरिष्ठ वकील सलमान खुर्शीदने जिरह शुरू करते हुये कहा कि प्रतिवादी यानी कर्नाटक सरकार के तर्कों में फ्रांस और तुर्की के उदाहरणों का उल्लेख किया गया है। फ्रांस में कोई भी क्रॉस नहीं दिखा सकता क्योंकि धार्मिक मान्यताओं की अभिव्यक्ति वहां सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित नहीं की जा सकती है।पिछले 9 दिनों से चल रही सुनवाई के बीच बेंच ने कहा कि अब धैर्य खत्म हो रहा है। सभी पक्ष जल्द से जल्द जिरह पूरी करें। इस संदर्भ में अदालत ने कहा कि गुरुवार को 1 घंटे का वक्त तय किया जा रहा है और आप लोग उस तय समय सीमा का ध्यान रखें। हम आप सभी को एक घंटे का समय देंगे। जस्टिस हेमंत गुप्ता और सुधांशु धूलिया की पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता हुज़ेफा अहमदी से कहा आप इसे खत्म करें अब यह सुनवाई की अधिकता है।
पर्याप्त दलील रखी जा चुकी है
पीठ ने कहा कि कई वकील पहले ही उसके सामने अपनी दलीलें रख चुके हैं। "हम अपना धैर्य खो रहे हैं। पीठ की इस टिप्पणी पर वकील अहमदी ने कहा कि उन्हें यह मानने में कोई दिक्कत नहीं है कि पीठ ने हमें अटूट धैर्य के साथ सुना है। इस टिप्पणी पर पीठ ने पूछा कि क्या आपको लगता है कि हमारे पास कोई और विकल्प है? यह देखते हुए कि वह गुरुवार को एक घंटे का समय देगी पीठ ने कहा कि इससे आगे नहीं जा सकता।
हिजाब मामला: सुप्रीम कोर्ट में कर्नाटक सरकार की दलील, सिर्फ क्लासरूम में हिजाब की इजाजत नहीं
ये लोग कर चुके हैं जिरह
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, कर्नाटक के महाधिवक्ता प्रभुलिंग के नवदगी और अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के एम नटराज ने राज्य की ओर से तर्क दिया है, जबकि वरिष्ठ वकीलों दुष्यंत दवे और सलमान खुर्शीद ने मुस्लिम याचिकाकर्ताओं के विचार प्रस्तुत किए हैं। सरकार का कहना है कि स्कूल यूनिफॉर्म में मुंह को ढकने की व्यवस्था नहीं है। लिहाजा क्लासरूम के अंदर हिजाब का कोई मतलब नहीं है। इसके साथ ही ईरान का उदाहरण देकर यह बताने की कोशिश की गई है अब तो मुस्लिम देशों में भी हिजाब के खिलाफ आंदोलन चल रहा है।
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