verdict on Hijab row: मुख्य न्यायाधीश रितुराज अवस्थी की अध्यक्षता वाली कर्नाटक उच्च न्यायालय की पीठ मंगलवार सुबह हिजाब मुद्दे पर फैसला सुना रही है। अदालत ने साफ किया है कि हिजाब इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं है। मामले को दिन के पहले पहर में सूचीबद्ध किया गया है। तीन न्यायाधीशों की खंडपीठ में शामिल न्यायमूर्ति कृष्ण एस. दीक्षित और न्यायमूर्ति खाजी जयबुन्नेसा मोहियुद्दीन ने तर्को और प्रतिवादों को सुनने के बाद मामले पर फैसले को सुरक्षित रख लिया था।
उडुपी प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज की छह छात्राओं को हिजाब पहनकर कक्षाओं में प्रवेश करने से रोक दिया गया था। छात्राओं ने इसका विरोध शुरू कर दिया और विरोध अन्य जिलों में भी फैल गया। यह एक बड़ा विवाद बन गया और यहां तक कि तनाव भी पैदा हो गया, क्योंकि कुछ हिंदू छात्राएं भगवा शॉल ओढ़कर कॉलेज आने लगीं।
छात्राओं ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और मांग की कि उन्हें हिजाब पहनकर कक्षा में प्रवेश करने की अनुमति दी जाए।
जब हाईकोर्ट ने अंतरिम आदेश जारी किया कि स्कूलों और कॉलेजों में हिजाब या भगवा शॉल ओढ़ने की अनुमति नहीं दी जा सकती, तब याचिकाकर्ताओं ने इसे सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी। हालांकि, शीर्ष अदालत ने इस मामले पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया और याचिकाकर्ताओं से हाईकोर्ट से ही राहत मांगने को कहा।
अध्यक्ष विश्वेश्वर हेगड़े कागेरी ने नियम 69 के तहत इस मुद्दे पर चर्चा के लिए समय तय किया है।पूर्व मुख्यमंत्री एच.डी. कुमारस्वामी ने सोमवार को विधानसभा में यह मुद्दा उठाया और मांग की कि उन्हें राज्य के स्कूलों और कॉलेजों में ड्रेस कोड के बारे में बात करने की अनुमति दी जाए।
उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर चर्चा करना आवश्यक है, क्योंकि इस विवाद ने राज्य में शिक्षा क्षेत्र को प्रभावित किया है।प्रसिद्ध कन्नड़ साहित्यकार व राष्ट्रकवि कुवेम्पु की जन्मस्थली शिवमोग्गा में हिंसा होने का उदाहरण देते हुए कुमारस्वामी ने दावा किया कि इसने छात्राओं की शिक्षा और शैक्षणिक वातावरण को प्रभावित किया है।
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