Hijab row : हिजाब विवाद पर फैसला, जानिए कर्नाटक हाई कोर्ट ने क्या-क्या कहा

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गौरव श्रीवास्तव
गौरव श्रीवास्तव | कॉरेस्पोंडेंट
Updated Mar 15, 2022 | 14:33 IST

Karnataka High court : हिजाब विवाद पर फैसला देते हुए कर्नाटक हाई कोर्ट ने कहा कि इससे सम्बंधित सूरा कहता है कि हिजाब न पहनने के लिए किसी तरह के दण्ड का प्रावधान नहीं है ऐसे में ये अनिवार्यता न होकर एक निर्देश भर है।

 Hijab row : What Karnataka High court observed in its verdict
हिजाब विवाद पर कर्नाटक हाई कोर्ट का फैसला।  |  तस्वीर साभार: PTI

Karnataka Hijab row : हिजाब विवाद पर कर्नाटक उच्च न्यायालय ने मंगलवार को अपना फैसला सुनाया। मुख्य न्यायाधीश की अगुवाई वाली पीठ ने हिजाब को इस्लाम का अभिन्न हिस्सा नहीं माना है। कोर्ट ने कहा कि हिजाब इस्लाम का अभिन्न हिस्सा नहीं है। आइए आपको बताते हैं कि कोर्ट हिज़ाब पर फैसला देते हुए क्या-क्या टिप्पणी की है

'हिजाब महिलाओं के लिए अनिवार्य धार्मिक प्रथा नहीं'

पवित्र कुरान के मुताबिक मुस्लिम महिलाओं के लिए हिजाब पहनना अनिवार्य नहीं है। कोर्ट ने कहा कि इससे सम्बंधित सूरा कहता है कि हिजाब न पहनने के लिए किसी तरह के दण्ड का प्रावधान नहीं है ऐसे में ये अनिवार्यता न होकर एक निर्देश भर है। सार्वजनिक स्थानों पर जाने के लिए हिजाब एक जरूरी कपड़ा जरूर है लेकिन ये एक धार्मिक बाध्यता नहीं है।

हंगामे पर कोर्ट ने जताई निराशा

हिजाब मामले पर आदेश देते हुए उच्च न्यायालय ने शैक्षणिक सत्र के बीच मे पनपे विवाद पर निराशा जताई। कोर्ट ने ये भी शंका जताई कि जिस तरह हिजाब के मामले पर हंगामा हुआ इस बात से इनकार नहीं कर सकते है कि सामाजिक ढांचे को बिगाड़ने के लिए कुछ 'अदृश्य शक्तियां' काम कर रहीं थीं।

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हिजाब विवाद पर हो रही जांच पर टिप्पणी नहीं

हिजाब पर हुए हंगामे पर हो रही पुलिसिया जांच हम कुछ नहीं कहेंगे क्योंकि ये जांच प्रभावित करेगा। हमें सील बंद लिफाफे में जो भी कागज पुलिस ने दिए हमने उसे वापस कर दिया। कोर्ट ने इच्छा जताई कि इस मामले की बिना देरी किये आरोपियो को जेल की सलाखों के पीछे भेजा जाए।

'स्त्रियों की आजादी में बाधक हिजाब'

हमारे देश के संविधान के निर्माता ने करीब 50 साल पहले परदा प्रथा को लेकर जो कहा था वही हिजाब, नकाब पर भी लागू हो सकता है। इस तरह की प्रथाएं किसी भी तबके के महिलाएं खासकर के मुस्लिम महिलाओं की तरक्की में बाधक है। साथ ही इस तरह की प्रथाएं हमारे संविधान द्वार धर्मनिरपेक्षता और जनभागीदारी के समान अवसरों की मूल भावना के खिलाफ है। कोर्ट ने ये भी स्पष्ट किया कि क्लासरूम में हिजाब न पहनकर आने का आदेश कहीं से भी लड़कियों की स्वतंत्रता और उनकी मर्जी के कपड़े पहनने की आजादी के खिलाफ नहीं है। क्लासरूम के बाहर वो अपनी मर्जी के कपड़े पहन सकती हैं।

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