नोएडा : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने विभाजन को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने गुरुवार को कहा कि विभाजन के समय देश को जो पीड़ा हुई उसे भुलाया नहीं जा सकता। यह पीड़ा तभी खत्म होगी जब विभाजन निरस्त होगा। साथ ही आरएसएस प्रमुख ने कहा कि दुनिया का भला करने के लिए हिंदू समाज को सामर्थ्यवान बनना पड़ेगा। कृष्णानंद सागर की किताब 'विभाजनकालीन भारत के साक्षी' के विमोचन के मौके पर समारोह को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा कि 'हमें इतिहास पढ़ना चाहिए और सच को स्वीकार करना चाहिए। दुनिया की भलाई करने के लिए हिंदू समाज को सामर्थ्यवान बनना पड़ेगा।'
उन्होंने कहा, 'भारत की विचारधारा सभी को साथ लेकर चलने की रही है। यह खुद के विचार को सही और दूसरे के विचार को गलत मानने वाली विचारधारा नहीं है। जबकि इस्लामा आक्रांताओं ने अपनी विचारधारा को सही और दूसरे की गलत माना। बाद में अंग्रेजों की सोच भी ऐसी रही। बीते समय में संघर्ष एवं विवाद का यह मुख्य कारण रहा।'
आरएसएस प्रमुख ने कहा कि 1857 की क्रांति के बाद इन आक्रांताओं ने हिंदू और मुस्लिम के बीच अलगाव की भावना को बढ़ावा दिया। उन्होंने कहा कि अब यह 1947 का नहीं बल्कि 2021 का भारत है। वह विभाजन को फिर नहीं होने देगा।
आरएसएस के सरसंघचालक शुक्रवार को मध्य प्रदेश में ग्वालियर आएंगे और बृहस्पतिवार से यहां शुरू हुए चार दिवसीय ‘घोष शिविर’ को संबोधित करेंगे। संघ के मध्य भारत प्रांत के संघचालक अशोक पांडे ने बताया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मध्य भारत प्रांत का चार दिवसीय प्रांतीय स्वर साधक संगम (घोष शिविर) 25 नवंबर को सरस्वती शिशु मंदिर केदारधाम परिसर ग्वालियर में शुरू हुआ। उन्होंने कहा कि इस शिविर में 26 नवंबर से सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत आएंगे और 28 नवंबर को स्वर साधकों के प्रदर्शन के बाद उन्हें संबोधित करेंगे।
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