AIMIM के प्रमुख Asaduddin Owaisi ने भारत के मुसलामानों और मुग़ल शासकों को लेकर बड़ा दावा किया है| इस दावे के बाद नया विवाद खड़ा हो गया है| Owaisi का दावा है कि मुसलमान भारत में मुगलों के शासन से पहले से रह रहे हैं।हिन्दुस्तान में मुसलमान कैसे आए ? ओवैसी सच बोल रहे या अर्द्धसत्य ? टॉप 10' इतिहासकार Vs बैरिस्टर ओवैसी साहब....हिंदुस्तान में इस्लाम वाया कारोबार या हमला?...भारत में इस्लाम की एंट्री की सच्ची कहानी क्या? हमारे स्पेशल सेगमेंट में हम आज आपको बताएंगे भारत में इस्लाम की एंट्री की सच्ची और ऐतिहासिक कहानी..
सच्ची कहानी इसलिए..क्योंकि AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने 24 घंटे पहले ही इसे लेकर अर्द्धसत्य सुनाया..उन्होंने दावा किया की भारत में इस्लाम विदेशी हमलावरों के जरिए नहीं बल्कि कारोबारियों के जरिए आया..ऐसे में हमने ओवैसी के दावे का इतिहास की किताबों और इतिहासकारों की जुबानी फैक्ट चेक किया तो क्या सामने आया?
असदुद्दीन ओवैसी की तल्ख जुबानी नए दौर की सियासत की पुरानी कहानी है..लेकिन अबकी बार उन्होंने हिंदुस्तान में इस्लाम के आगमन के जिन ऐतिहासिक पन्नों को महाराष्ट्र के लातूर की भरी सभा में खोला..उसे इतिहास के विद्वानों ने ही आधा सच करार दिया है..
'सारा फसाद शुरू होता है..जब से सियासी इस्लाम आया'
सिर्फ ये कह देना कि इस्लाम जो था..सिर्फ सूफियों या ताजिरों के जरिए आया..अर्द्धसत्य होगा..क्योंकि तीनों तरीके से आया..शुरू में आया..पैगंबर के वक्त से आया और फिर 8वीं शताब्दी के पीरियड में यहां आबादियां बसने लगीं मुसलमानों की और कोई झगड़ा नहीं था..सारा फसाद शुरू होता है..जब से सियासी इस्लाम आया..उसे आप कह सकते हैं कि 12वीं या 13वीं शताब्दी..तो एक तरीके से ओवैसी साहब सिर्फ इतिहास के एक पन्ने को याद दिला रहे हैं..दूसरे पन्ने को याद नहीं दिला रहे हैं..
सवाल ये कि हिंदुस्तान में इस्लाम कब और कैसे आया?
भारत में इस्लाम की एंट्री की जो कहानी ओवैसी साहब ने सुनाई..उसकी असलियत अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में इतिहास के प्रोफेसर रहे अली नदीम रिजवी ने बयां कर दी..लेकिन सवाल ये कि हिंदुस्तान में इस्लाम कब और कैसे आया? इसे लेकर इतिहास की किताबों में क्या लिखा है? इतिहासकारों का क्या कहना है? इसे समझने के लिए हमने NCERT से लेकर इतिहास की तमाम किताबों को खंगाला..देश के टॉप इतिहासकारों से बात की..इस दौरान हमने जो पढ़ा और सुना..आपको एक-एक कर बताएंगे..लेकिन उससे पहले NCERT की किताब में क्या लिखा है? आपको उसके बारे में बताते हैं..
NCERT की किताब में क्या लिखा है?
7 और 8वीं सदी में इस्लाम का प्रसार स्पेन और भारत में हुआ..भारत में इस्लाम खासकर व्यापारियों, नामचीन हस्तियों और विजेताओं के जरिए 600 सालों के दौरान आया..हालांकि, 8वीं सदी में मुसलमानों ने सिंध और गुजरात में बस्तियां बनानी शुरू कर दी थीं..लेकिन 13वीं सदी की शुरुआत में जाकर दिल्ली सल्तनत की हुकूमत में बड़े पैमाने पर मुसलमानों के निर्माण कार्य शुरू हुए..
ये सच है कि मुस्लिम हमलावरों से पहले अरब के कारोबारी ही हिंदुस्तान आए..8वीं शताब्दी में उन्हें बाकायदा यहां के राजाओं ने ही बसाया..ओवैसी ने जिस मस्जिद के मिनियेचर यानी प्रतिकृति को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से सऊदी अरब के सुल्तान को गिफ्ट में देने का जिक्र किया..वो बात भी सौ फीसदी सच्ची है..
2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रियाद में वहां के सुल्तान सलमान-बिन-अब्दुल अजीज अल सऊद को ये खास तोहफा दिया था..पीएम मोदी ने सऊदी सुल्तान को चेरामन जुमा मस्जिद की प्रतिकृति भेंट की थी..केरल के त्रिशूर जिले की इस मस्जिद के बारे में माना जाता है कि ये भारत में बनी पहली मस्जिद है..जिसका निर्माण 629 ईसवी के आसपास अरब व्यापारियों ने कराया था..इस मस्जिद को भारत और सऊदी अरब के करीबी कारोबारी रिश्ते की निशानी के तौर पर देखा जाता है..
लेकिन हकीकत ये भी है कि अरब में इस्लाम पैगंबर मोहम्मद साहब के साथ ही आया..यानी अरब के लोग पहले मुसलमान नहीं थे..ओवैसी ने भारत में इस्लाम के आगमन का सिर्फ वो सच सुनाया..जो उनकी सियासत को सूट करता है..लेकिन बड़ी होशियारी से वो किस्सा नहीं बताया..जो इतिहास के पन्नों में भारत पर इस्लामिक हमले के तौर पर दर्ज हैं..
712 ईसवी में मोहम्मद बिन कासिम के नेतृत्व में अरब के मुसलमानों ने सिंध पर हमला किया और वहां के ब्राह्मण राजा दाहिर को हरा दिया..इस तरह भारत की जमीन पर पहली बार इस्लाम के पैर जम गए..मोहम्मद बिन कासिम के हमले के करीब 300 साल तक भारत पर कोई आक्रमण नहीं हुआ..लेकिन 1000 ईसवी के करीब अफगानिस्तान के सुल्तान महमूद गजनवी ने भारत पर हमले शुरू किए..
इतिहासकार अली नदीम रिजवी भी भारत में इस्लाम के प्रवेश के दो रास्ते का जिक्र करते हैं
इतिहासकार अली नदीम रिजवी भी भारत में इस्लाम के प्रवेश के दो रास्ते का जिक्र करते हैं..एक कारोबारी और दूसरा सियासी..जो इतिहास की किताबों में सियासी नहीं बल्कि हमले के तौर पर साफ-साफ लिखा गया है..भारत में इस्लाम के आगमन को तीन हमलावरों का कारनामा बताया जाता है..मोहम्मद बिन कासिम, महमूद गजनवी और मोहम्मद गोरी..अगर हम अरबों की सिंध विजय की अनदेखी कर दें तो इस देश में इस्लाम का पहला अगुआ महमूद गजनवी को मान सकते हैं..उसका आक्रमण भारतीय मुस्लिम राजनीति का पहला कदम था..मोहम्मद गोरी और उसके गुलामों ने पहले कदम को आगे बढ़ाया और मुस्लिम हुकूमत की राह दिखाई और आखिर में भारत की जमीन पर मुस्लिम साम्राज्य की नींव पड़ी..
'विदेशी हमलावरों ने भारत की पहचान मिटाने की कोशिश की'
हकीकत ये है कि इस्लामिक आक्रांताओं का मकसद ही हिंदुस्तान पर कब्जा करना था..धर्म का प्रचार-प्रसार करना था..ये बात पत्थर पर लिखी इबारत की तरह है कि गजनवी हो या गोरी या फिर बाद में मुगल..विदेशी हमलावरों ने भारत की पहचान मिटाने की कोशिश की..यहां जबरन धर्म परिवर्तन कराया..
क्योंकि गोरी ने एक दो बार नहीं बल्कि पूरे 17 बार भारत पर अपना मजहब थोपने के मकसद से हमला किया..इतिहासकार मानते हैं कि दक्षिण भारत में अरब कारोबारियों के जरिए इस्लाम की एंट्री की बात भले सही हो..लेकिन उत्तर भारत में तो इसके आगमन का जरिया आक्रमण ही बना..
'तो उन्हें आक्रमण का किस्सा भी जरूर बताना चाहिए'
लेकिन ओवैसी हैं कि उन्हें पॉलिटिकल माइलेज लेना है..ऐसे में वो वक्त-बेवक्त आधा सच बताकर बच निकलते हैं..सियासी वार-पलटवार अपनी जगह है..लेकिन इतिहास की किताबों में लिखी बातें झूठी नहीं हो सकती हैं..ऐसे में अगर ओवैसी साहब ने कारोबार से इस्लाम के भारत आगमन की कहानी सुनाई तो उन्हें आक्रमण का किस्सा भी जरूर बताना चाहिए।
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