जिस वक्त देश में सर तन से जुदा के नारों की गूंज को लेकर बहस छिड़ी है...उससे देश में पैदा हो रहे खतरे का जिक्र हो रहा है... उसी वक्त देश में गला काटने वालों को बचाने का प्रोपेगेंडा चलाया जा रहा है क्या ? क्या तालिबानी सोच रखने वालों को बचाने के लिए नेरेटिव सेट किया जा रहा है ? ये सवाल आज इसलिए क्योंकि एक तरफ उदयपुर के कन्हैलाल और अमरावती के उमेश कोल्हे मर्डर से पूरा देश स्तब्ध है..तो दूसरी तरफ हर दिन गला काटने की धमकी देनेवाले सामने आ रहे हैं।
साथ ही ऐसी मानसिकता वाले लोगों को डिफेंड करने वाले बयान भी सामने आ रहे हैं...ताजा बयान इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल के चीफ मौलाना तौकीर रजा खान का है...मौलाना तौकीर रजा ने Muslim Fundamentalists द्वारा कन्हैया लाल पर हुए Gruesome Attack का आरोप लगाते हुए आरएसएस (RSS) के खिलाफ चौंकाने वाला बयान दिया है. उन्होंने दावा किया कि Dawat-e-Islami एक Socio-Religious Organization है। मौलाना ने कथित तौर पर ये भी कहा कि India-Pakistan Partition के लिए RSS ही जिम्मेदार था और कन्हैया लाल की मौत के पीछे आरएसएस ही हाथ है।
अभी जांच चल ही रही है लेकिन तौकीर रजा ने उदयपुर हत्याकांड के लिए बीजेपी और आरएसएस को जिम्मेदार बता भी दिया.लेकिन अब हम आपको पिछले कुछ दिनों में आई कुछ तस्वीरें दिखाते हैं..इन्हें देखकर आप खुद ही समझिए क्या क्या देश में 'सर तन से जुदा' वाले नारे बीजेपी या आरएसएस लगवा रही है..क्या मस्जिदों से ऐसे नारे बीजेपी या आरएसएस दिलवा रही है ?
तो फिर मुसलमानों से ऐसे नारे कौन लगवा रहा है?
क्योंकि एक तरफ तो बीजेपी को मुसलमान विरोधी पार्टी कहा जाता है..कहा ये भी जाता है कि मुसलमान बीजेपी को वोट नहीं देते..तो फिर मुसलमानों से ऐसे नारे कौन लगवा रहा है? मुसलमानों की भावनाओं को कौन भड़का रहा है? देश के माहौल को कौन बिगाड़ रहा है ? क्या इसका जवाब मौलाना तौकीर रजा जैसे धर्म के ठेकेदार को नहीं पता है ?
न्यूज़ शो पाठशाला में भी बताया था कि बहस किसी के बयान पर नहीं..बल्कि उस सोच पर होनी चाहिए..जो किसी बयान पर कत्ल को जायज ठहराती है.. इसी पर बाबा साहेब अंबेडकर क्या कह कर गए हैं.. उसे आज एक बार फिर देख लीजिए..बाबा साहेब अंबेडकर ने अपनी किताब Thoughts on Pakistan के पेज नंबर 152 में लिखा है कि-''ये तथ्य है कि कई प्रसिद्ध हिंदू, जिनके लेखों से या शुद्धि आंदोलन में हिस्सा लेने से, मुस्लिमों की धार्मिक भावनाएं आहत हुईं, उनकी हत्याएं मुस्लिम कट्टरपंथियों ने कर दी। सबसे पहले स्वामी श्रद्धानंद को अब्दुल राशिद ने 23 दिसंबर 1926 को गोली मारी, जब वो बीमार थे और बिस्तर पर थे। फिर दिल्ली में प्रमुख आर्य समाजी लाला नानकचंद की हत्या की गई। इसके बाद 6 अप्रैल 1929 को इल्मुद्दीन ने राजपाल की हत्या की, जब वो अपनी दुकान पर बैठे थे। फिर सितंबर 1934 को नाथूरामल शर्मा की कोर्ट के अंदर हत्या हुई, जब वो इस्लाम पर एक pamphlet के प्रकाशन के खिलाफ केस के दौरान कोर्ट में सुनवाई का इंतजार कर रहे थे। 1938 में हिंदू महासभा के सचिव खन्ना पर जानलेवा हमला हुआ और वो मौत से बाल बाल बचे।''
बाबा साहेब अंबेडकर ने इसके आगे लिखा कि- ''ये तो बहुत छोटी लिस्ट है जिसे और बढ़ाया जा सकता है। लेकिन महत्व इस बात का नहीं कि कितनी ज्यादा या कम संख्या में प्रमुख हिंदुओं का कत्ल मुस्लिम कट्टरपंथियों ने किया। महत्व इस बात का है कि इन हत्यारों के प्रति सोच क्या है। इन हत्यारों को तो कानून के तहत सजा मिली, लेकिन मुस्लिम समाज के प्रमुख लोगों ने इन हत्यारों की निंदा नहीं की। उल्टे इन कट्टरपंथी हत्यारों को शहीद बताया गया और इन्हें रिहा करने के लिए प्रदर्शन किए गए। इसका एक उदाहरण लाहौर के वकील बरकत अली का है, जो नाथूरामल के हत्यारे अब्दुल कयूम का केस लड़ रहे थे और उन्होंने कहा था कि नाथूरामल की हत्या का दोषी अब्दुल कयूम नहीं है क्योंकि उसने जो किया, वो कुरान के नियमों के तहत जायज है।
अजमेर से ही एक और जहरीले मौलाना का विवादित बयान सामने आया है
इन बयानों को सुनकर ये सवाल पूछना लाजमी है कि तौकीर रजा जैसे लोग सर तन से जुदा करने वालों को मासूम और सरकार को दोषी ठहराने का एजेंडा क्यों चला रहे हैं..शायद इसीलिए उदयपुर और अमरावती जैसी बर्बर घटना के बाद भी ऐसी सोच पर लगाम नहीं लग पा रहा है। कल हमने इसी डिबेट में अजमेर के जिस खादिम सलमान चिश्ती का बयान आपको सुनवाया..जिसने नुपुर शर्मा का गला काटने वालों को मकान, जमीन तक देने की बात कही थी..उसे पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है..
लेकिन अजमेर से ही एक और जहरीले मौलाना का विवादित बयान सामने आया है..अंजुमन कमेटी के सेक्रेटरी सरवर चिश्ती का एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें वो हिंदुस्तान को हिलाने की धमकी दे रहा है.
इस मामले में आपको अपडेट भी दे दें कि ये वायरल वीडियो अजमेर पुलिस तक पहुंच चुका है..पुलिस जांच में भी जुट गई है..सूत्रों के मुताबिक मौलाना सरवर चिश्ती पीएफआई से जुड़ा है..इन्हीं सब घटनाक्रम को जोड़ते हुए आज राष्ट्रवाद में सवाल है कि-
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