नई दिल्ली : देश में इन दिनों मेडिकल ऑक्सीजन के लिए हहाकार मचा हुआ है। अस्पतालों से लेकर सड़कों तक मेडिकल ऑक्सीजन के लिए जद्दोजहद देखने को मिल रही है। मेडिकल ऑक्सीजन की किल्लत कमी दूर करने के लिए सरकार लगातार कदम उठा रही है लेकिन कोरोना मरीजों का इलाज करने वाले अस्पतालों की अपनी शिकायते हैं। ऑक्सीजन की कमी के चलते कई अस्पतालों में मरीजों के दम तोड़ने की रिपोर्टें हैं तो अस्पताल एसओएस संदेश भेजकर अपने लिए कुछ घंटों के लिए ऑक्सीजन का जुगाड़ करते पाए गए हैं। पिछले कुछ दिनों में राजधानी दिल्ली के कई अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी सामने आई। ऑक्सीजन की यह कमी हैरान करने वाली है।
वायुमंडल में 21 प्रतिशत है ऑक्सीजन
भारत की गिनती मेडिकल ऑक्सीजन बनाने वाले चुनिंदा बड़े देशों में होती है। यहां बड़े पैमाने पर कृत्रिम ऑक्सीजन का उत्पादन होता है। आइए जानते हैं कि संयंत्रों में ऑक्सीजन का निर्माण किस तरह से होता है और संयंत्रों से इसका वितरण कैसे किया जाता है। ऑक्सीजन पानी और हवा दोनों में होती है लेकिन मनुष्य पानी में मौजूद ऑक्सीजन को नहीं ले सकता। मनुषय को सांस लेने में दिक्कत होने पर उसे मेडिकल ऑक्सीजन दिया जाता है। हवा में 21 प्रतिशत ऑक्सीजन, 78 प्रतिशत नाइट्रोजन और एक प्रतिशत अन्य गैसे होती हैं। भारत में कई कंपनियां कृत्रिम ऑक्सीजन का निर्माण करती हैं।
प्लांट में ऐसे बनती है मेडिकल ऑक्सीजन
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