नई दिल्ली: छठ पूजा पूर्वांचल का एक महान पर्व है । दीपावली के छठे दिन इसकी शुरुआत होती है। एक तरफ जहां दीपावली पांच पर्वों की पुनीत परंपरा होती है तो दूसरी तरफ छठ चार नियम व विधियों के मिश्रण का महापर्व है। इस बार दुर्भाग्य से हर पर्व कोरोना के साये में मनाया जा रहा है। यहीं वजह है कि दशहरा जैसे पर्व में भी गाइडलाइंस की वजह से उस प्रकार की धूमधाम नहीं दिखी जैसा हर साल देखने में आता था। केंद्र और राज्य सरकार के सामने भी यह मजबूरी है कि इस वक्त कोरोना की वजह से एक साथ बहुत लोगों को जमा होने की इजाजत नहीं दी जा सकती क्योंकि इससे सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन नहीं हो पाएगा।
बिहार में छठ पूजा को लेकर गाइडलाइंस जारी की गई हैं। यह पर्व बिहार में प्रमुखता के साथ मनाया जाता है। जारी दिशा-निर्देश के मुताबिक, छठ पूजा के दौरान आयोजकों- कार्यकर्ताओं और उससे संबंधित अन्य व्यक्तियों को समय-समय पर सफाई और सैनेटाइज करने का निर्देश है। छठ पूजा में घाट पर अक्सर स्पर्श की जाने वाले सतहों और बैरिकेडिंग को समय-समय पर सफाई सैनेटाइज करने का भी निर्देश है। छठ पूजा घाट पर यहां-वहां थूकना बिल्कुल वर्जित होगा। बिहार सरकार द्वारा जारी गाइडलाइंस में मास्क का प्रयोग और सोशल डिस्टेंसिंग के मानकों का पालन कराने के निर्देश दिए गए हैं। आयोजकों और अन्य व्यक्तियों को स्थानीय प्रशासन के निर्धारित शर्तों का पालन हो यह उन्हें इससे जुड़े आयोजकों को सुनिश्चित करना होगा।
घाट पर जमा भीड़ के बीच चुनौतियां
बिहार की राजधानी पटना की बात करें तो यहां गंगा किनारे कई घाट हैं। इन सब घाटों पर छठ पूजा में अर्घ्य देने के लिए काफी भीड़ जमा होती है। यह अक्सर देखा जाता है कि जब अर्घ्य देने का समय होता है तब बड़ी संख्या में लोग घाट पर जुटते हैं। उस वक्त सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कितना हो पाएगा यह कहना मुश्किल है। सोशल डिस्टेंसिंग का नियम कितना फॉलो होगा इस पर एक बड़ा सवाल है।
क्या घर पर छठ करना श्रेयस्कर?
पर्व आस्था का विषय होता है लेकिन इसमें कोई शक नहीं है कि घाट की बजाय घर पर छठ मनाना ज्यादा श्रेयस्कर है। क्योंकि कोरोना अभी तक है। एक महामारी जिससे पूरी दुनिया परेशान है वह अब भी है। घर पर जितने आप सुरक्षित हैं उतना घाट पर या सार्वजनिक स्थल पर सुरक्षित नहीं हैं। इसलिए इस बार घर पर ही छठ मनाना श्रेयस्कर है। आध्यात्मिक तौर पर यह नियम भी है कि जो व्यक्ति घाट पर नहीं जा पा रहा है वह घर पर भी पूजा कर सकता है। इसलिए जानकारों की भी राय यही है कि छठ पूजा को घाट की बजाय घर पर ही मनाना ज्यादा श्रेयस्कर है क्योंकि इससे आप कोरोना के भय से बचे रहेंगे।
झारखंड में सार्वजनिक स्थलों पर छठ पूजा पर लगी पाबंदी
झारखंड सरकार ने सार्वजनिक स्थलों पर छठ पूजा मनाने पर पाबंदी लगा दी है। झारखंड सरकार ने कोरोनो वायरस महामारी फैलने की आशंका के मद्देनजर सार्वजनिक स्थानों पर छठ पूजा पर्व पर प्रतिबंध लगा दिया है। राज्य सरकार के दिशानिर्देशों के अनुसार, श्रद्धालु नदियों, तालाबों, झीलों और अन्य जल निकायों में छठ पूजा नहीं कर पाएंगे। गृह, कारागार और आपदा प्रबंधन विभाग के दिशानिर्देशों ने तालाबों और नदियों के किनारे स्टॉल या बैरिकेड्स लगाने पर भी प्रतिबंध लगा दिए हैं और साथ ही छठ घाटों पर किसी भी तरह की सजावट पर भी पाबंदी है।
सरकार की इस पाबंदी के पीछे तर्क यह है कि छठ के दौरान नदियों के किनारे धार्मिक अनुष्ठान करते समय सामाजिक दूरी और चेहरे पर मास्क लगाने के नियमों का पालन करना संभव नहीं होगा और नदियों में स्नान वगैरह करने से संक्रमण के फैलने का खतरा भी हो सकता है। समिति ने लोगों से सोशल डिस्टेंसिंग और सवाधानी संबंधी अन्य नियमों का पालन करते हुए निजी परिसरों, छत इत्यादि पर छठ पूजा करने की सलाह दी है।
ओडिशा सरकार ने भी छठ पूजा पर लगाई रोक
ओडिशा सरकार ने सोमवार को सार्वजनिक स्थानों पर छठ पूजा मनाने पर रोक लगा दी, जिसमें 20 और 21 नवंबर को नदी तट पर स्नान करना शामिल है, क्योंकि भीड़ से कोरोना संक्रमण का और अधिक प्रसार हो सकता है। सरकार की चेतावनी के मुताबिक आदेश का उल्लंघन करने वाला कोई भी व्यक्ति 2005 के आपदा प्रबंधन अधिनियम और अन्य संबंधित कानूनों के तहत दंडित किया जाएगा। विशेष राहत आयुक्त (एसआरसी) द्वारा जारी एक अधिसूचना में लोगों को घर पर धार्मिक अनुष्ठान करने और सामूहिक समारोहों से बचने और स्वास्थ्य सुरक्षा प्रोटोकॉल जैसे कि सामाजिक दूरी, मास्क पहनने और सैनिटाइजर के उपयोग की सलाह दी।
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