प्रधानमंत्री ने कहा, 'भाग्यनगर में ही सरदार पटेल ने 'एक भारत' दिया था।' प्रधानमंत्री के इस बयान के बाद कहा जा रहा है कि जल्द ही हैदराबाद का नाम बदलकर भाग्यनगर किया जा सकता है। ये बहस लंबी है और इसे समझने के लिए इतिहास के पन्ने पलटने पड़ेंगे।तेलंगाना में बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भाग्यनगर का जिक्र किया।वरिष्ठ बीजेपी नेता रविशंकर प्रसाद ने मीडिया को बताया कि प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी में किस तरह अपनी बातों को रखा था।
भाग्यनगर का ये दांव बीजेपी की राजनीति के लिए बेहद अहम है। बीजेपी 8 साल से देश की सत्ता पर काबिज है। इसके बावजूद दक्षिण में कर्नाटक और पुडुचेरी को छोड़कर बीजेपी एक कमजोर पार्टी है। लेकिन अब तेलंगाना से बीजेपी को उम्मीद नजर आ रही है।
आंध्र प्रदेश में 25 लोकसभा सीटें हैं, बीजेपी का खाता नहीं खुला है।
केरल में 20 सीटें है, बीजेपी के पास कोई सीट नहीं है।
तमिलनाडु में 39 सीटें हैं। बीजेपी का खाता नहीं खुला है।
कर्नाटक में 28 सीटें हैं और बीजेपी के पास 25 सीटें हैं।
पुडुचेरी की अकेली सीट बीजेपी के पास है।
और तेलंगाना की 17 सीटों में से 4 बीजेपी के पास है।
दो हजार बीस में ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम चुनाव में बीजेपी ने अच्छा प्रदर्शन किया था। अमित शाह, जे पी नड्डा और योगी आदित्यनाथ जैसे दिग्गजों ने इस चुनाव में प्रचार किया था। और तभी से हैदराबाद को भाग्यनगर करने का मुद्दा पार्टी की ओर से उछाला जा रहा है।हैदराबाद को भाग्यनगर बनाने का बीजेपी का दांव वहां के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव यानी KCR को सीधी चुनौती है।
KCR ने मोदी विरोध का मोर्चा किस तरह खोला है। दो तस्वीरें इसकी गवाही देती हैं।पिछले हफ्ते जब प्रधानमंत्री मोदी तेलंगाना पहुंचे तो KCR सरकार का सिर्फ एक मंत्री उन्हें लेने एयरपोर्ट पर आया।जबकि विपक्ष के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को रिसीव करने खुद KCR और उनका मंत्रिमंडल एयरपोर्ट पहुंचा ।
आप पहले अहमदाबाद का नाम अदानीबाद क्यों नहीं करते ?
उधर हैदराबाद का नाम भाग्यनगर करने के मुद्दे पर TRS के अध्यक्ष और मंत्री KTR ने ये कहकर पलटवार किया कि -आप पहले अहमदाबाद का नाम अदानीबाद क्यों नहीं करते ?शहरों या सड़कों के नाम बदलने की राजनीति सिर्फ हैदराबाद को लेकर नहीं है।पिछले हफ्ते उद्धव सरकार ने जाते-जाते अपनी कैबिनेट के आखिरी फैसले में दो शहरों के नाम बदलने का प्रस्ताव पास कर दिया ।औरंगाबाद का नाम बदलकर संभाजीनगर किया गया। उस्मानाबाद का नाम बदलकर धाराशिव किया गया।
उत्तर प्रदेश में इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज हुआ
इस फैसले से उद्धव ठाकरे ने हिंदुत्व की राजनीति को धार दी। लेकिन कैबिनेट फैसले में शामिल रही कांग्रेस को पार्टी में विरोध का सामना करना पड़ा।उधर हाल ही में लोकसभा उपचुनाव में खुद योगी आदित्यनाथ ने आजमगढ़ को आर्यमगढ़ बनाने के नाम पर वोट मांगा और वहां बीजेपी ने जीत भी हासिल की ।योगी सरकार के दौरान उत्तर प्रदेश में इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज हुआ है। फैजाबाद का नाम बदलकर अयोध्या किया गया है। मुगलसराय रेलवे जंक्शन का नाम पंडित दीन दयाल उपाध्याय जंक्शन किया गया है।
वैसे नाम बदलने की ये परंपरा बीजेपी ने शुरू की, ऐसा नहीं है। बीजेपी राज से पहले ही बड़ौदा का नाम बदलकर वडोदरा हुआ है। पॉन्डिचेरी को पुडुचेरी, त्रिवेंद्रम को तिरुवनंतपुरम, बेंगलोर को बेंगलुरु, मद्रास को चेन्नई, बॉम्बे को मुंबई और कलकत्ता को कोलकाता बनाया जा चुका है।
देश में पहले 6 मुगल शासकों के नाम पर 700 से अधिक जगहों के नाम
बीजेपी ने जगहों के नाम बदलने की परंपरा भले ना शुरू की हो, लेकिन उसके विरोधी इसे लेकर पार्टी पर बंटवारे की राजनीति का आरोप लगाते हैं।हालांकि जब बीजेपी पर ये आरोप लगाता है, 2020 की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस देश में पहले 6 मुगल शासकों के नाम पर 700 से अधिक जगहों के नाम हैं। अकबर के नाम पर 251, औरंगजेब के नाम पर 177, जहांगीर के नाम पर 141, शाहजहां के नाम पर 63, बाबर के नाम पर 61 और हुमायूं के नाम पर 11 जगहों के नाम हैं।
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