नई दिल्ली। हाइड्राक्सीक्लोरोक्वीन नाम की दवा इन दिनों चर्चा में है। चर्चा में इसलिए कि वैज्ञानिकों का मानना है कि जब तक कोरोना वायरल के लिए किसी वैक्सीन का ईजाद नहीं हो जाता है तब तक इस दवा का इस्तेमाल किया जा सकता है। इस जानकारी के बाद दुनिया के ज्यादातर मुल्कों की नजर भारत पर टिक गई। भारत पर नजर इसलिए टिकी क्योंकि यहां पर इस दवा को बड़े पैमाने पर बनाया जाता है।
इन देशों को भेजी जा रही है दवा
भारत अपने पड़ोसी देशों मालदीव,मॉरिशस,श्रीलंका,अफगानिस्तान,भूटान,बांग्लादेश,नेपाल और म्यांमार को दवा भेज रहा है। युगांडा,बुर्कीना फासो, नाइजर,जांबिया,डोमिनिकन रिपब्लिक,मेडागास्कर माली कॉन्गो,मिस्र,अर्मेनिया, कजाखिस्तान,इक्वाडोर,जमैका,सीरिया,यूक्रेन,चाड,जिंबाब्वे,फ्रांस, जॉर्डन,केन्या,नीदरलैंड्स,नाइजीरिया,ओमान और पेरू शामिल हैं। इसके अलावा उरुग्वे, कोलंबिया, अल्जीरिया बहामास और ब्रिटेन, फिलिपींस, रूस, स्लोवानिया, दक्षिण अफ्रीका, तंजानिया, संयुक्त अरब अमीरात उज्बेकिस्तान को भी दवा भेजी जा रही है।
अमेरिका ने दी थी धमकी फिर पीएम मोदी को बताया महान
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इस हद तक खफा हुए कि धमकी पर उतर आए। लेकिन जब भारत ने साफ कर दिया कि मानवीय आधार पर वो यह दवा मुहैया कराएगा तो पीएम नरेंद्र मोदी महान नेता नजर आने लगे। उन्होंने कहा था कि उम्मीद थी कि भारत उन्हें निराश नहीं करेगा। वो यहां तक कहते आए कि दोनों देशों के बीच की दोस्ती इस मुश्किल घड़ी में इतिहास लिख रही है।
मलेशिया को भी मदद
इससे भी बड़ी बात यह है कि वो दो देश मलेशिया और तुर्की की आस भारत पर टिक गई वो हाइड्राक्सीक्लोरोक्वीन मुहैया कराएगा, हालांकि इन दोनों मुल्कों ने अनुच्छेद 370 और सीएए के मुद्दे पर भारत की मुखालफत की थी। लेकिन भारत ने बड़ा दिल दिखाया और दवा निर्यात की इजाजत दे दी। भारत ने साफ कर दिया था कि पहले वो अपनी जरूरतों को देखेगा, फिर पड़ोसी मुल्कों पर विचार करेगा और उसके बाद जो देश कोरोना से ज्यादा प्रभावित हैं उनके बारे में विचार किया जाएगा।
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