नई दिल्ली : सीमा पर चीन के साथ जारी गतिरोध को देखते हुए भारतीय वायु सेना (IAF) अपनी तैयारी एवं तैनाती दोनों को जारी रखे हुए है। वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर चीन की गतिविधियों एवं हरकतों पर नजर रखने और उसे जवाब देने के लिए वायु सेना अपने अत्याधुनिक एवं 4.5 पीढ़ी के राफेल लड़ाकू विमानों को हाशिमारा एयरबेस पर तैनात करेगी। राफेल के 17 'गोल्डेन एरोज' स्क्वाड्रन की तैनाती अंबाला एयरबेस पर पहले ही हो चुकी है। वायु सेना ने अपने पूर्वी सेक्टर में स्थित हाशिमारा एयरबेस पर 101 'फॉलकन्स ऑफ छंब एंड अखनूर' स्क्वाड्रन को तैनात करेगी।
101 स्क्वाड्रन में अभी 5 राफेल हुए शामिल
टीओआई की रिपोर्ट में आईएएफ के सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि अंबाला एयरबेस पर वायु सेना की 17 'गोल्डेन एरोज' स्क्वाड्रन अपनी पूरी क्षमता 18 विमानों के साथ अभियान चलाने के लिए पूरी तरह से तैयार है जबकि 101 स्क्वाड्रन में फ्रांस से पहुंचे पांच लड़ाकू विमानों को शामिल करते हुए इसे दोबारा सक्रिय किया गया है।
अगले साल अप्रैल तक आ जाएंगे 13 और राफेल
बता दें कि भारत ने फ्रांस से सितंबर 2016 में 59,000 करोड़ रुपए में 36 राफेल लड़ाकू विमानों को खरीदने का सौदा किया। इनमें से 23 राफेल भारत पहुंच चुके हैं। वायु सेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया ने शनिवार को बताया कि बाकी बचे 13 राफेल भी अगले साल के अप्रैल तक अलग-अलग खेप में आ जाएंगे। वायु सेना इन अत्याधुनिक विमानों को अपने स्क्वाड्रन में शामिल करने के लिए पूरी तरह से तैयार है।
'जैमी' के हाथों में 101 स्क्वाड्रन की कमान
रिपोर्ट में एक सूत्र के हवाले से कहा गया है कि 'कोरोना संकट की वजह से वायु सेना की 101 स्क्वाड्रन को हाशिमारा एयरबेस पर दोबारा सक्रिय करने के समारोह में थोड़ी देरी हुई लेकिन अब इस समारोह को एक महीने या उससे कम समय में किया जाएगा।' सूत्र ने बताया कि 17 स्क्वाड्रन की कमान ग्रुप कैप्टन रोहित कटारिया के हाथों में है जबकि 101 स्क्वाड्रन का नेतृत्व ग्रुप कैप्टन नीरज झम्ब 'जैमी' कर रहे हैं।
देश के किसी भी एयरबेस से उड़ान भर सकते हैं राफेल
स्टील्थ जैसे फीचर्स से लैस दुनिया के बेहतरीन लड़ाकू विमानों की तैनाती के लिए अम्बाला एवं हाशिमारा एयरबेस को चुना गया है। हालांकि जरूरत पड़ने पर मल्टीरोल अभियान में दक्ष ये विमान देश के किसी भी एयरबेस से उड़ान भर सकते हैं। इन दोनों ही एयरबेस पर राफेल के लिए हैंगर्स, शेल्टर्स और रखरखाव की जरूरतों को पूरा कर लिया गया है।
तेजपुर, चबुआ में पहले से तैनात हैं सुखोई-30 एमकेआई
चीन के साथ 1962 की लड़ाई के बाद हासिमारा एयरबेस का निर्माण किया गया। यह एयरबेस सिक्किम-भूटान-तिब्बत के ट्राइ-जंक्शन के करीब है। तेजपुर और चबुआ में पहले से ही रूसी मूल के सुखोई-30 एमकेआई तैनात हैं। हाशिमारा एयरबेस पर राफेल की तैनाती हो जाने से पूर्वी मोर्च पर वायु सेना की ताकत और बढ़ जाएगी।
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