IAS officer Ritika Jindal को हिमाचल के शूलिनी मंदिर में हवन करने से रोका गया, महिला होना बताई गई वजह

हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले स्थिति शूलिनी मंदिर में आईएएस अधिकारी रितिका जिंदल को हवन में भाग लेने से रोक दिया गया। वजह यह बताया गया कि इस मंदिर में किसी महिला को हवन में सम्मिलित होने का अधिकार नहीं है।

IAS officer Ritika Jindal को हिमाचल के शुलिनी  मंदिर में हवन करने से रोका गया, महिला होना बताई गई वजह
सोलन में तहसीलदार के पद पर तैनात हैं रितिका जिंदल 
मुख्य बातें
  • सोलन के शूलिनी मंदिर में आईएसए अफसर रितिका जिंदल को हवन से रोका गया
  • लोगों ने कहा कि हवन में महिलाओं के शामिल होने का रिवाज नहीं
  • सोलन में फिलहाल तहसीलदार पर तैनात हैं रितिका जिंदल, शूलिनी मंदिर की प्रशासक भी हैं।

नई दिल्ली। हम 21वीं सदी में है, विज्ञान और आधुनिकर संचार की बात करते हैं, लेकिन आस्था कहें या अंधविश्वास शायद ये दोनों भारी पड़ जाते हैं। मंदिरों में आमतौर पर समाज के गरीब शोसित लोगों से भेदभाव की खबरें आती हैं, लेकिन कोई साधन संपन्न शक्तिशाली पुरुष या महिला आस्था की वजह से मंदिर में हवन न कर सके, तो बहुत कुछ सोचने पर मजबूर होना पड़ता है। दरअसल हिमाचल के सोलन में शूलिनी मंदिर में अष्टमी के मौके पर आईएएस अधिकारी रितिका जिंदल हवन में हिस्सा लेना चाहती थीं। लेकिन कुछ लोगों ने महिला होने की वजह से उन्हें रोक दिया। हालांकि मंदिर की प्रशासक होने के नाते वो हवन का हिस्सा बनीं। 

महिला अधिकारी को हवन से रोका गया
रीतिका जिंदल ने कहा कि हम महिला सम्मान की बात करते है, लेकिन उन्हें उनके अधिकारों से ही वंचित रखा जाता है। उन्होंने बताया कि मंदिर में व्यवस्था का जायजा लेने के लिए वो गईं थीं। जिस समय वो पहुंची वहां हवन चल रहा था। उन्होंने वहां मौजूद लोगों से हवन में भाग लेने का आग्रह किया, लेकिन उन्‍होंने साफ  मना कर दिया और बताया गया कि कि जब से मंदिर में हवन हो रहा है तब से किसी भी महिला को हवन में बैठने का अधिकार नहीं मिला है। मंदिर में महिलाओं के प्रवेश और पूजा करने पर कोई रोक नहीं है,

मानसिकता बदलने की जरूरत 
रितिका जिंदल ने कहा कि सभी महिलाओं को इस मानसिकता को बदलने की आवश्यता है। इसे वे तभी बदल सकती हैं, जब वह इस रूढ़िवादी सोच का विरोध करेंगी। उन्होंने कहा कि जब उन्हें हवन में बैठने से मना किया गया तो उन्होंने अपने अधिकारों के बारे में उन्हें सचेत करवाया और हवन में भाग भी लिया। उन्होंने कहा कि वो अधिकारी बाद में हूं और महिला पहले और महिला होने के नाते ही उन्होंने यह लड़ाई लड़ी है। 

 

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