नई दिल्ली : COVID-19 महामारी के प्रकोप के साथ, भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR)-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) पुणे अपने प्रमुख वैज्ञानिकों के साथ अहम भूमिका निभा रहा है रहा है। आईसीएमआर-एनआईवी के शीर्ष वैज्ञानिक ने कहा कि उभरती चुनौतियों कई तरह के स्ट्रेन्स और उनके वैरिएंट का पता लगाना शामिल है। ICMR-NIV वैज्ञानिक प्रज्ञा यादव उन वैज्ञानिकों में शामिल हैं, जिन्होंने भारत में पहले तीन COVID-19 मामलों का पता लगाया था।
जब देश में महामारी कम हो रही है तो डॉ. प्रज्ञा यादव ने कहा कि जब कोरोना अपने प्रारंभिक चरण में था तो तब स्थिति बहुत खराब थी। आईसीएमआर के वैज्ञानिक ने एएनआई को बताया, 'इतनी बड़ी आबादी वाले देश की तैयारी करना चुनौतीपूर्ण था। हमें और अधिक तैयारी करनी थी और यही वह समय था जब आईसीएमआर ने स्थिति से निपटने के लिए देश भर में अपने संसाधनों के बड़े पूल के साथ कदम रखा।' COVID-19 का पता चलने के बाद, चिकित्सा अनुसंधान केंद्र ने वायरस के खिलाफ टीकाकरण विकसित करने के लिए एक नई यात्रा शुरू की।
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डॉ. प्रज्ञा यादव ने कहा, 'मार्च 2020 में वायरस को अलग करने से पहले, हम अनुसंधान मोड पर चले गए ताकि हम मार्च में वायरस को अलग कर सकें। इसके अलावा, हमने वायरस के खिलाफ वैक्सीन आवश्यकताओं को विकसित करने की एक नई यात्रा शुरू की।' उन्होंने आगे बताया कि जब चीन में मामले बढ़ रहे थे तब ICMR-NIV पुणे ने राष्ट्रीय इन्फ्लुएंजा केंद्र के साथ परीक्षण प्रणाली विकसित करने की तैयारी शुरू कर दी थी।
प्रज्ञा यादव ने यह भी बताया कि कैसे उन्होंने COVID-19 महामारी के दौरान शोध कार्य और व्यक्तिगत जीवन के बीच संतुलन बनाया। उन्होंने बताया, 'मैं घर वापस आने के बाद अपने बच्चों से बात करती थी। वे मुझसे COVID-19 के खिलाफ वैक्सीन का आविष्कार करने का अनुरोध करते थे ताकि वे अपनी ऑफ़लाइन कक्षाएं फिर से शुरू कर सकें। इसलिए, उन्होंने हमेशा मेरा समर्थन और प्रेरित किया।'
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कोरोनावायरस यानि COVID-19 ने दुनिया के लगभग हर हिस्से में जनजीवन ठप कर दिया था। मध्य चीन के हुबेई प्रांत में उत्पन्न हुए इस वायरस ने अब तक कई करोड़ लोगों की जान ले ली है और वैश्विक स्तर पर 150 से अधिक देशों मैं इसने असर डाला।
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