नई दिल्ली : कोरोना संकट के दौरान इस साल भी कांवड़ यात्रा रद्द किए जाने की मांग के बीच भारतीय चिकित्सा संघ (IMA) की उत्तराखंड इकाई ने राज्य सरकार से इस प्रस्तावित यात्रा को अनुमति नहीं देने की अपील की है। आईएएम ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को मंगलवार पत्र लिखा। इस पत्र में उसने कहा कि देश में कोरोना महामारी की तीसरी लहर आने की आशंका है, ऐसे में राज्य सरकार को जुलाई-अगस्त महीने में प्रस्तावित कांवड़ यात्रा को अनुमति नहीं देनी चाहिए।
पर्यटन स्थलों पर जुट रही भीड़ पर IMA पहले आगाह कर चुका है
पर्यटन स्थलों पर लोगों की जुट रही भीड़ पर भारतीय चिकित्सा संघ ने सोमवार को चिंता जताते हुए सरकार को आगाह किया। आईएमए ने कहा कि पर्यटकों का आगमन, तीर्थयात्राएं, धार्मिक उत्साह ठीक हैं, लेकिन इसके लिए कुछ और महीने इंतजार किया जाना चाहिए। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि मुश्किल से कोरोना की दूसरी लहर पर नियंत्रण पाया गया है लेकिन भीड़भाड़ वाली जगहों पर यदि इसी तरह से सोशल डिस्टैंसिंग का उल्लंघन हुआ तो स्थिति बिगड़ जाएगी।
उत्तराखंड में 26 जुलाई से शुरू होनी है कांवड़ यात्रा
बता दें कि उत्तराखंड में 26 जुलाई से कांवड़ यात्रा शुरू करने का प्रस्ताव है। हालांकि, इस यात्रा को इस साल भी स्थगित किए जाने की मांग उठ रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि जब कोरोना की तीसरी लहर आनी तय मानी जा रही है। ऐसे में कांवड़ यात्रा में छूट दिए जाने से कोरोना का खतरा बढ़ सकता है। क्योंकि उत्तराखंड में आयोजित कुंभ से कोरोना का संक्रमण फैलने में तेजी आई। सावन महीने के दौरान पवित्र नदियों का जल लेने के लिए देश भर से बड़ी संख्या में कांवड़िए उत्तराखंड आते हैं। आशंका जताई जा रही है कि श्रद्धालुओं के बड़ी संख्या में आने पर सोशल डिस्टैंसिंग का पालन करना मुश्किल होगा।
राज्य सरकार ने अभी नहीं लिया है अंतिम निर्णय
वहीं, कांवड़ यात्रा के प्रस्ताव पर धामी सरकार ने अभी अंतिम फैसला नहीं लिया है। राज्य सरकार का कहना है कि सावन महीने के दौरान पड़ोसी राज्यों दिल्ली, यूपी, मध्य प्रदेश और हिमाचल प्रदेश से कांवड़िए राज्य में आते हैं। इन राज्य सरकारों से बातचीत के बाद उनकी सरकार इस यात्रा पर फैसला लेगी।
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