अग्निपथ योजना के खिलाफ मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई हुई। सरकार की तरफ से सॉलिसीटर जनरल ने कहा कई राज्यों में याचिकाएं दायर की गई हैं, लिहाजा उन अर्जियों को एक जगह ट्रांसफर किया जाए। एसजी की दलील के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सभी अर्जियों को दिल्ली हाईकोर्ट में ट्रांसफर कर दिया है। अब सभी अर्जियों पर सुनवाई दिल्ली हाईकोर्ट में होगी। अग्निपथ योजना को रद्द करने के लिए एम एल शर्मा नाम के वकील ने अर्जी लगाई थी।
अग्निपथ स्कीम के लिए खिलाफ अर्जी
अग्निपथ योजना के लिए केंद्र की अधिसूचना को रद्द करने की मांग करने वाली जनहित याचिका अधिवक्ता एमएल शर्मा ने दायर की थी, जिसमें कहा गया था कि यह योजना “अवैध और असंवैधानिक” थी। जनहित याचिका में कहा गया है कि रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी 14 जून की अधिसूचना या प्रेस नोट को अवैध, असंवैधानिक और न्याय के हित में भारत के संविधान के लिए गैर-कानूनी और अवैध बताया जा रहा है।समाचार एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को रक्षा बलों, अग्निपथ के लिए नई भर्ती योजना को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई की।
इन राज्यों में दायर थी अर्जी
पंजाब
हरियाणा
उत्तराखंड
केरल
पटना
अग्निपथ योजना का हुआ था विरोध
शीर्ष अदालत ने इस महीने की शुरुआत में याचिकाओं पर सुनवाई के लिए सहमति जताई थी। समाचार एजेंसी पीटीआई ने बताया कि जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस जेके माहेश्वरी की अवकाश पीठ ने कहा कि गर्मी की छुट्टी के बाद शीर्ष अदालत के फिर से खुलने पर भर्ती योजना के खिलाफ याचिकाओं को एक उपयुक्त पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया जाएगा।केंद्र सरकार ने पिछले महीने रक्षा बलों में भर्ती के लिए अग्निपथ योजना की घोषणा की थी, जिसके तहत साढ़े 17 से 21 वर्ष की आयु के युवाओं को चार साल के कार्यकाल के लिए सशस्त्र बलों में शामिल किया जाएगा, जबकि 25 प्रतिशत युवाओं को सशस्त्र बलों में शामिल किया जाएगा। उनमें से बाद में नियमित सेवा के लिए शामिल किया जाएगा।
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