नई दिल्ली: साल 2019 में जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जाट राजा महेंद्र प्रताप सिंह के नाम विश्वविद्यालय बनाने का ऐलान करते हुए कहा था "अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU)को राजा महेंद्र प्रताप ने जमीन दान की लेकिन फिर भी सभी लोगों को लाभ नहीं मिल सका।" उसी वक्त यह साफ हो गया था कि भाजपा AMU के समानांतर राजा महेंद्र प्रताप सिंह के नाम विश्वविद्यालय बनाकर, एक नई राजनीति करने की तैयारी में हैं। और जब प्रदेश में विधान सभा चुनाव महज 6 महीने रह गए हैं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विश्वविद्यालय का शिलान्यस कर, बड़ा दांव चल दिया है।
जाट राजा महेंद्र प्रताप सिंह भाजपा के लिए बड़ी उम्मीद हैं। खास तौर से पिछले साल से शुरू हुए किसान आंदोलन को देखते हुए, भाजपा के लिए यह बेहद जरुरी हो गया है कि वह जाटों की नाराजगी को चुनावों से पहले हर हाल में दूर कर ले। क्योंकि 2013 के बाद से जाट वोटरों का एक बड़ा तबका भाजपा को वोट देता आ रहा है। लेकिन जिस तरह से किसान आंदोलन के बीच पंचायत चुनाव में पश्चिमी यूपी में भाजपा को झटका लगा है, वैसा प्रदर्शन वह 2022 के विधान सभा चुनावों में नहीं दोहराना चाहेगी।
20 सदीं की गलती 21 वीं सदी में सुधारने का दांव
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अलीगढ़ में विश्वविद्यालय का शिलान्यास करते हुए कहा "भारत का हजारों वर्षों का इतिहास ऐसे राष्ट्रभक्तों से भरा है, जिन्होंने समय-समय पर भारत को अपने तप और त्याग से दिशा दी है। हमारी आजादी के आंदोलन में ऐसे कितने ही महान व्यक्तित्वों ने अपना सब कुछ खपा दिया। लेकिन ये देश का दुर्भाग्य रहा कि आजादी के बाद ऐसे राष्ट्र नायक और राष्ट्र नायिकाओं की तपस्या से देश की अगली पीढ़ियों को परिचित ही नहीं कराया गया। 20वीं सदी की उन गलतियों को आज 21वीं सदी का भारत सुधार रहा है। महाराजा सुहेलदेव जी हों, दीनबंधु चौधरी छोटूराम जी हों, या फिर अब राजा महेंद्र प्रताप सिंह जी, राष्ट्र निर्माण में इनके योगदान से नई पीढ़ी को परिचित कराने का ईमानदार प्रयास आज देश में हो रहा है।"
भाजपा की गुमनाम नायकों को स्थापित करने की रणनीति पर, उत्तर प्रदेश में पार्टी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी टाइम्स नाउ नवभारत डिजिटल से कहते हैं "देखिए इसमें गलत क्या है, इतिहास में ऐसे बहुत नायक हैं, जिन्होंने आजादी और देश के विकास के लिए अभूतपूर्व योगदान दिया है। इसके बावजूद उन्हें इतिहास में जगह नहीं मिली है। पार्टी और सरकार की कोशिश है कि ऐसे नायकों को उनका उचित स्थान मिले। एक बात और नहीं भूलनी चाहिए कि भाजपा एक राजनीतिक पार्टी है, और उसे अगर इन कोशिशों का फायदा मिल जाय तो हर्ज क्या है ? "
हालांकि समाजवादी पार्टी प्रमुख ने राजा महेंद्र प्रताप सिंह के नाम विश्वविद्यालय बनाने पर कहा है "आजीवन साम्प्रदायिकता और संकीर्ण राजनीति के विरोधी रहे व भाजपा के पूर्वगामियों की जमानत ज़ब्त कराने वाले राजा महेन्द्र प्रताप सिंह जी के नाम पर नया विश्वविद्यालय बनाना भाजपाई ढोंग है जबकि उनके बनाए गुरुकुल विश्वविद्यालय वृंदावन को भाजपा सरकार ने नकली विवि घोषित करके उनका अपमान किया है।"
किसान आंदोलन से बदला माहौल
असल में पिछले साल तीन नए कृषि कानूनों के आने के बाद से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भाजपा के लिए पहले जैसे समीकरण नहीं रह गए हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 100 से ज्यादा विधान सभा सीटें हैं, जहां पर जाट मतदाता परिणामों को प्रभावित करते हैं। भाजपा ने 2017 के चुनाव में इस इलाके से 80 के करीब सीटें जीती थी। लेकिन जिस तरह किसान नेता राकेश टिकैत, यूपी बार्डर पर धरने के दौरान रोए और उसके बाद जो माहौल बना, उससे स्थानीय स्तर पर एक बड़ा तबका नाराज चल रहा है। 2022 के चुनावों में भाजपा को उनका समर्थन खोने का डर है। इस पर भाजपा नेता कहते हैं "देखिए कृषि कानून लाकर हमने कोई गलती नहीं की है। किसानों को राजनीति की वजह से बरगलाया जा रहा है। चुनावों में जो किसानों को समझा पाएगा, उसे उनका वोट मिलेगा।"
प्रधानमंत्री ने चौधरी चरण सिंह को किया याद
जाटों की नाराजगी चुनावों में असर डाल सकती है, इसका अंदाज शीर्ष नेतृत्व को भी है। अलीगढ़ में भाषण के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जाट नेता और पूर्व प्रधानमंत्री चरण सिंह को भी याद किया। उन्होंने कहा "ग्रामीण अर्थव्यवस्था में भी तेज़ी से बदलाव हो रहे हैं। बदलाव के साथ कैसे तालमेल बिठाना पड़ता है, इसका रास्ता स्वयं चौधरी चरण सिंह जी ने दशकों पहले देश को दिखाया है। जो रास्ता चौधरी साहब ने दिखाया, उनसे देश के खेती मज़दूरों और छोटे किसानों को कितना लाभ हुआ, ये हम सभी जानते हैं। आज की अनेक पीढ़ियां उन सुधारों के कारण एक गरिमामय जीवन जी पा रही हैं।"
भाजपा के ही एक जाट नेता कहते हैं "नेतृत्व को जमीनी हकीकत पता है। इसलिए नाराजगी दूर करने की कोशिश हो रही हैं। राजा महेंद्र प्रताप सिंह जाटों के काफी सम्मानित नेता रहे हैं। उनको लेकर समुदाय में आदर भी है। लेकिन इससे नाराजगी कितनी दूर होगी, यह बताना बड़ा मुश्किल है। जहां तक कृषि क्षेत्र में चौधरी चरण सिंह के योगदान की बात है तो वह तो पूरी दुनिया मानती है " साफ है कि भाजपा ने राजा महेंद्र प्रताप सिंह के जरिए एक दांव चलने की कोशिश की है। लेकिन यह कितना कारगर होगा यह तो वक्त बताएगा। लेकिन इस राजनीति राजा महेंद्र प्रताप सिंह के प्रपौत्र चरत प्रताप सिंह टाइम्स नाउ नवभारत डिजिटल से कहते हैं अगर राजनीति के नाम पर कोई अच्छा काम हो रहा है, तो इसमें हर्ज क्या है?
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