अब देश में शादीशुदा मर्दों का मिजाज बदल रहा है। उन्हें लगता है कि औरत सिर्फ सेक्स की मशीन नहीं है। वो थक भी सकती है उसकी इच्छा के विपरीत जिस्मानी संबंध बनाना ठीक नहीं है। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 से जो जानकारी मिली है उसके मुताबिक 66 फीसद मर्दों का मानना है कि अगर पत्नी थकी हो और सेक्स के लिए मना करे तो गलत नहीं है यानी पुरुषों को उसे मुद्दा नहीं बनाना चाहिए। सर्वे के मुताबिक 80 फीसद महिलाओं का कहना है कि औरतों के थके होने पर पुरुष को सेक्स के लिए दवाब नहीं डालना चाहिए तो पुरुषों की भी एक बड़ी तादाद इसकी समर्थक है।
66 फीसद पुरुषों का कहना है कि इन तीन हालात में अगर पत्नी सेक्स के लिए मना करे तो ऐतराज नहीं करना चाहिए।
इसके साथ ही करीब 8 फीसद महिलाओं और 10 फीसद पुरुषों का मानना है कि भले ही ये तीनों वजह हों पत्नी को सेक्स के लिए इनकार नहीं करना चाहिए। पांच में से चार से अधिक महिलाएं (82 प्रतिशत) अपने पति को ना कह सकती हैं यदि वे संभोग नहीं करना चाहती हैं। गोवा (92 प्रतिशत) में महिलाओं के ना कहने में सक्षम होने की सबसे अधिक संभावना है और अरुणाचल प्रदेश (63 प्रतिशत) और जम्मू और कश्मीर (65 प्रतिशत) में कम से कम कहने में सक्षम होने की संभावना है।
पुरुषों के सामने रखे गए कुछ अहम सवाल
पुरुषों से पूछा गया कि क्या वे मानते हैं कि उन्हें चार प्रकार के व्यवहार का अधिकार है जैसे क्रोधित होना और पत्नी को फटकारना, पत्नी को पैसे या वित्तीय सहायता के अन्य साधन देने से मना करना। पत्नी के खिलाफ बल प्रयोग करना और उसके न चाहते हुए भी उसके साथ यौन संबंध बनाना या कहीं और जाकर दूसरी स्त्री के साथ सेक्स करना। 15-49 आयु वर्ग के केवल 6 प्रतिशत पुरुष इस बात से सहमत हैं कि पुरुषों को इन चारों व्यवहारों को प्रदर्शित करने का अधिकार है यदि कोई पत्नी उसे सेक्स करने से मना करती है, और 72 प्रतिशत चार व्यवहारों में से किसी से भी सहमत नहीं हैं। हालांकि, 19 फीसदी पुरुष इस बात से सहमत हैं कि अगर पति अपने पति के साथ यौन संबंध बनाने से इनकार करता है तो उसे गुस्सा करने और महिला को फटकार लगाने का अधिकार है।
दो फेज में संपन्न हुआ था NFHS-5 का सर्वे
एनएफएचएस-5 दो चरणों में आयोजित किया गया था - चरण- I 17 जून 2019 से 30 जनवरी 2020 तक 17 राज्यों और 5 केंद्र शासित प्रदेशों को कवर करता है, और चरण- II 2 जनवरी 2020 से 30 अप्रैल तक 2021 में 11 राज्य और 3 केंद्र शासित प्रदेश शामिल हैं। वैवाहिक बलात्कार भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत 'बलात्कार' की परिभाषा का अपवाद है, और इसका मतलब है कि 18 वर्ष से अधिक उम्र की पत्नी पर खुद को मजबूर करने वाले व्यक्ति पर मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है। हालांकि, निष्कर्ष बताते हैं कि विवाह में दोनों भागीदारों के दृष्टिकोण में धीरे-धीरे परिवर्तन होता है।
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