नई दिल्ली: देश अपनी आजादी की 75वीं वर्षगांठ मनाने जा रहा है। इस आजादी को पाने के लिए राष्ट्र को ना जाने कितनी कुर्बानियां देनी पड़ी। 15 अगस्त 1947 को देश को अंग्रेजों से तो आजादी तो मिल गई लेकिन पड़ोसी मुल्क की हरकतें आजादी के बाद भी जारी रहीं और उसने बार-बार भारत पर हावी होने की कोशिश की। भारतीय सैनिकों ने हर बार शानदार शौर्य और पराक्रम का प्रदर्शन करते हुए दुश्मन के इरादों को नाकाम किया। ऐसे में जब हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं, उसमें देश के सैनिकों के उस शौर्य, पराक्रम को याद करना जरूरी है जिन्होंने सीमा पर ही नहीं बल्कि खेल के मैदान में भी झंडे गाड़े हैं। तो आईए जानने की कोशिश करते हैं कि आजाद भारत में सेना ने देश को कितने चैंपियन दिए हैं।
मेजर ध्यानचंद
हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद भी सेना से ताल्लुक रखते थे। शुरूआत में मेजर ध्यानचंद पंजाब रेजिमेंट से खेलते थे। बाद में उनका चयन भारतीय टीम में हो गया। उन्होंने फील्ड हॉकी में ओलंपिक खेलों के दौरान भारत को तीन बार- 1928, 1932 और 1936 में भारत को स्वर्ण पदक दिलाया था। दुनिया का तानाशाह हिटलर तक मेजर ध्यानचंद का फैन था।
मिल्खा सिंह
मिल्खा सिंह भले ही ओलंपिक में देश को मेडल दिलाने से चूक गए थे लेकिन उन्होंने एथेलेटिक्स में जो नाम कमाया वो किसी मेडलिस्ट से कम नहीं है। महान धावक मिल्खा सिंह ने आर्मी में भर्ती होने के बाद ही अपनी प्रतिभा को और निखारा था। 1960 रोम ओलंपिक गेम्स में वह मेडल जीतने के बेहद करीब थे लेकिन अंत में चौथे नंबर पर रहे। फ्लाइंग सिख के नाम से मशहूर मिल्खा सिंह ने दुनिया से रूखसत होने से पहले ख्वाहिश जाहिर की थी कि काश कोई एथलीट उनका मेडल जीतने का सपना पूरा कर दे, जिसने नीरज चोपड़ा ने पूरा किया।
कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़
पूर्व केंद्रीय मंत्री और बीजेपी सांसद कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ भी सेना में रहकर देश को ओलंपिक में रजत पदक दिला चुके हैं। कारगिल युद्ध में भाग ले चुके कर्नल राठौड़ ने 2004 एथेंस ओलंपिक खेलों के दौरान शूटिंग में भारत को रजत पदक दिलाया था। कारगिल युद्ध के बाद उन्होंने शूटिंग को अपना करियर बनाया और 2004 में ओलंपिक खेलों में शिरकत की। इस दौरान रजत पदक जीतकर देश तथा सेना का नाम रोशन किया।
विजय कुमार
एक फौजी के बेटे विजय कुमार को आर्मी ज्वॉइन करने से पहले ही शूटिंग का शौक था। आर्मी ज्वॉइन करने के बाद उन्होंने अपने इस शौक पर काफी मेहनत की और इसमें सेना ने उन्हें खूब सहयोग दिया। विजय कुमार ने 2006 कॉमनवेल्थ गेम्स में दो स्वर्ण पदक देश के नाम किए और फिर उसी साल 25 मीटर पिस्टल में एशियन गेम्स में भी कांस्य पदक पर कब्ज़ा जमाया। इसके बाद उन्होंने अपनी मेहनत जारी रखी और 2009 में वर्ल्ड शूटिंग चैंपियनशिप में रजत पदक जीता। 2010 राष्ट्रमंडल खलों में तीन गोल्ड जीतकर नया मुकाम हासिल किया। 2012 में लंदन ओलंपिक के लिए जब उन्हें टीम में जगह मिली तो इसे शानदार तरीके से भुनाते हुए 25 मीटर की स्पर्धा में देश को रजत पदक दिलाया। विजय कुमार बाद में सेना से कैप्टन के पद से रिटायर हुए।
नीरज चोपड़ा
सेना में नायब सूबेदार नीरज चोपड़ा को भला कौन नहीं जानता है। युवाओं के आइकन नीरज चोपड़ा ने इसी साल टोक्यो ओलंपिक में जैवलिन थ्रो में भारत को पहला गोल्ड मेडल दिलाकर इतिहास रचा। वह ओलंपिक में व्यक्ति स्पर्धा में स्वर्ण जीतने वाले अभिनव बिंद्रा के बाद केवल दूसरे भारतीय बन गए हैं। 2016 में उन्हें सेना में जेसीओ यानि जूनियर कमीशंड ऑफिसर चुना गया था। उनकी काबियल की बदौलत ही उन्हें सीधे इस पद पर तैनाती मिली।
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