नई दिल्ली। लद्दाख के पूर्वी सेक्टर में एलएसी के पास चीनी सेना के जमावड़े से भारत और चीन दोनों के बीच तनाव है। यह तनाव 15-16 जून की गलवान हिंसा के बाद चरम पर पहुंचा। भारत ने चीन के खिलाफ कुछ ठोस कार्रवाई को जमीन पर उतारा जो आर्थिक मामलों से जुड़े हुए हैं। दोनों देशों के बीच उच्च स्तरीय सैन्य वार्ता के क्रम में गुरुवार को हुई बैठक में कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं पर सहमति बनी। भारत और चीन ने एलएसी पर सेना को पूर्ण रूप से पीछे ले जाने पर सहमति बनाई है। इसके साथ ही इस बात पर भी सहमति बनी है कि दोनों देशों के बीच जितने भी विवादित मुद्दे हैं उन्हें मौजूदा समझौतों और प्रोटोकॉल के तहत सुलझाया जाएगा।
सीमा विवाद सुलझाने के लिए बातचीत पर जोर
भारत और चीन के बीच सीमा विवाद संबंधित उच्चाधिकार प्राप्त समित की 18वीं बैठक संपन्न हुई। दोनों देशों ने माना कि सीमावर्ती इलाकों में शांति और सद्भाव का बने रहना हित में है। इसके साथ ही किस तरह से संपूर्ण विकास पर दोनों देश आगे बढ़ सकते हैं। भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि पूर्वी एशिया मामलों के सचिव नवीन श्रीवास्तव की अगुवाई में चर्चा हुई। इस बैठक में चीन की तरफ से बाउंड्री और ओसिनिक मामलों के डीजी शामिल हुए थे।
पूर्व धारणा को दरकिनार कर हो वार्ता
दोनों पक्षों के बीच इस बात पर सहमति बनी कि पारदर्शी और बिना किसी पूर्व धारणा के विवादित मुद्दों पर अब सार्थक चर्चा की जरूरत है। चीन के साथ हुई बातचीत में भारत ने साफ किया कि दोनों देशों के बीच विशेष प्रतिनिधियों के बीच वार्ता का जो आधार बनाया गया उसके तरह वेस्टर्न सेक्टर में सभी सीमा विवादों को सुलझाया जाएगा। भारत का कहना है कि चीन ने भी माना है कि विवाद के केंद्र बन चुके मुद्दों को तेजी से निपटाने की आवश्यकता है। चीन ने माना कि एलएसी से पूर्ण रूप से सेनाओं के हटाने के लिए कूटनीतिक और सैन्य स्तर पर बातचीत का सिलसिला चलते रहना चाहिए।
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