नई दिल्ली: 30 जून को भारत और चीन के बीच सीमा विवाद को लेकर तीसरी बार कोर कमांडर स्तर की वार्ता हुई। ये बैठक करीब 12 घंटे लंबी चली। सूत्रों के अनुसार, सामने आया है कि भारतीय, चीनी सेनाओं ने प्राथमिकता के साथ जल्द, चरणबद्ध और क्रमिक तरीक से तनाव घटाने पर जोर दिया है। कोर कमांडर की वार्ता में हुई चर्चा एलएसी पर तनाव घटाने के लिए दोनों पक्षों की प्रतिबद्धता को दिखाती है। आपसी सहमति योग्य समाधान पर पहुंचने के लिए सैन्य, कूटनीतिक स्तर पर और बैठकें होने की संभावना है।
सूत्र ने कहा है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर पीछे हटने की प्रक्रिया जटिल है। भारत-चीन कोर कमांडर स्तरीय बैठक लंबी चली, कोविड-19 के प्रोटोकॉल के मद्देनजर बिना समय गंवाए प्रभावी तरीके से बैठक हुई। ये वार्ता पूर्वी लद्दाख के चुशूल सेक्टर में एलएसी के भारतीय हिस्से में हुई। बैठक सुबह 11 बजे शुरू हुई और करीब 12 घंटे तक चली। सूत्र ने बताया कि बैठक लंबी चली, कोविड-19 के प्रोटोकॉल के मद्देनजर बिना समय गंवाए प्रभावी तरीके से बैठक हुई।
वार्ता में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व 14वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह ने किया, जबकि चीनी पक्ष का नेतृत्व तिब्बत सैन्य जिले के मेजर जनरल लियु लिन ने किया। बातचीत में भारतीय पक्ष ने सीमा से जुड़े मुद्दों के समाधान के दोनों देशों के बीच हुए समझौतों के प्रावधानों का कड़ाई से पालन करने पर जोर दिया। 6 और 22 जून को हुईं पहले दो दौर की वार्ताओं में भी भारतीय पक्ष ने इलाके के विभिन्न स्थानों से तत्काल चीनी सैनिकों को हटाने की मांग की थी।
बातचीत के बीच 15 जून को गलवान घाटी में दोनों देशों के सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प में भारतीय सेना के 20 सैन्यकर्मी शहीद हो गए। चीनी पक्ष को भी नुकसान हुआ लेकिन उसने इसकी जानकारी सार्वजनिक नहीं की। पहले दो दौर की बातचीत एलएसी के पास चीनी जमीन पर मोल्दो में हुई थीं।
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