India China news: भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर बीते करीब डेढ साल से भी अधिक समय से तनाव की स्थिति बनी हुई है। हालांकि हालात को सामान्य बनाने के लिए दोनों ओर से कार्प्स कमांडर स्तर की कई दौर की वार्ता हो चुकी है, जिसके बाद तनाव में कमी आई है, लेकिन अब भी यहां हालात पहले की तरह सामान्य नहीं हो पाए हैं। तनाव दूर करने के लिए दोनों देशों के बीच जल्द ही एक और दौर की कॉर्प्स कमांडर स्तर की वार्ता होने की संभावना है।
सरकारी सूत्रों के अनुसार, यह बातचीत 12 जनवरी को पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारतीय सीमा क्षेत्र में चुशूल में होने की संभावना है। इसमें पूर्वी लद्दाख में संघर्ष के उन बिंदुओं से पीछे हटने की प्रक्रिया की दिशा में प्रगति पर खास ध्यान केंद्रित किया जाएगा, जहां अब भी तनाव की स्थिति बनी हुई है। समझा जाता है कि भारतीय पक्ष इस दौरान देपसांग, बुल्ज और देमचाक से जुड़े मुद्दों का समाधान निकालने के साथ-साथ संघर्ष के बिंदुओं से जल्द सेना के पीछे हटने पर जोर देगा।
भारत और चीन के बीच कॉर्प्स कमांडर स्तर की यह वार्ता ऐसे समय में होने जा रही है, जबकि पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग झील पर चीन द्वारा पुल निर्माण को लेकर भारत ने पहले ही कड़ा प्रतिरोध जाहिर किया है। भारत ने दो टूक कहा है कि पैंगोंग झील पर जिस जगह चीन पुल का निर्माण कर रहा है, वह क्षेत्र बीते करीब 60 साल से चीन के अवैध कब्जे में है और इस तरह की गतिविधियों को भारत ने कभी स्वीकार नहीं किया है। भारत ऐसी गतिविधियों पर करीब से नजर रखे हुए है और अपने सुरक्षा हितों के संरक्षण के लिए हर संभव कदम उठा रहा है।
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यहां गौर हो कि LAC पर तनाव को दूर करने के लिए भारत और चीन के बीच इससे पहले कॉर्प्स कमांडर स्तर की 13 दौर की वार्ता हो चुकी है। 13वें दौर की वार्ता पिछले साल 10 अक्टूबर को हुई थी, लेकिन इसमें दोनों पक्ष गतिरोध को समाप्त करने के लिए कोई प्रगति हासिल करने में नाकाम रहे थे।
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पूर्वी लद्दाख में LAC पर भारत और चीन की सेना के बीच तनाव अप्रैल 2020 के आखिर में शुरू हुआ था, जिसके बाद यहां दोनों देशों की ओर से भारी संख्या में सैनिकों और हथियार प्रणाली की तैनाती की गई। तनाव को दूर करने के लिए बीते साल से ही दोनों देशों के बीच सैन्य व राजनयिक स्तर की कई दौर की वार्ता हो चुकी है, लेकिन यहां अभी तक सामान्य स्थिति बहाल नहीं हो पाई है। आपसी बातचीत के बाद दोनों पक्षों ने पिछले साल पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारे तथा गोगरा क्षेत्र से सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया पूरी की थी।
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