तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा आज जम्मू से लेह-लद्दाख पहुंचे। जम्मू से निकलते वक्त उन्होंने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि भारत और चीन को एलएसी विवाद बातचीत के जरिए ही सुलझाना चाहिए क्योंकि आज के दौर में युद्ध की बात पुरानी हो चुकी है। दलाई लामा अगले एक महीने लेह लद्दाख में रहने वाले हैं। यहां वो अपने अनुयायियों को दीक्षा देंगे।
दलाई लामा का ये दौरा इसलिए खास है क्योंकि वो 2019 में जम्मू कश्मीर के दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजन के बाद पहली बार यहां आ रहे हैं। दूसरी बड़ी वजह यह भी है कि 2020 में भारत और चीन के बीच हुए गलवान के खूनी संघर्ष और उसके बाद बढ़े तनाव के बाद दलाई लामा का यह पहला लेह लद्दाख दौरा है।
रविवार को भारत और चीन के बीच एलएसी विवाद सुलझाने के लिए 16वें दौर की बातचीत होनी है ऐसे में सवाल पैदा हो रहे हैं कि क्या दलाई लामा का लद्दाख दौरा चीन के रुख पर असर डाल सकता है क्योंकि चीन दलाई लामा को अलगाववादी नेता कहता है जबकि दलाई लामा भारत के पक्ष की बात करते हैं। जम्मू पहुंचते ही दलाई लामा ने चीन के लिए कहा कि," अब चीन को समझ लेना चाहिए कि मैं तिब्बत की स्वतंत्रता नहीं बल्कि बौद्धिक और तिब्बती परंपराओं की स्वायत्तता और संरक्षण के लिए संघर्ष करता रहा हूं।"
दो हजार अट्ठारह में दलाई लामा ने अपना जन्मदिन लद्दाख में ही मनाया था और चीन ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई थी। हाल ही में दिल्ली में दलाई लामा का जन्मदिन मनाया गया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें भारत आमंत्रित भी किया था।
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