भारत के स्वदेशी हथियार ने सुपर पावर रूस को पछाड़ा, हासिल किया 40 मिलियन डॉलर का रक्षा सौदा

देश
प्रभाष रावत
Updated Mar 01, 2020 | 17:19 IST

India beats Russia in Defense Deal: यूरोपीय देश को हथियार प्रणाली की स्पर्धा में भारत ने रूस और पोलैंड को पीछे छोड़कर 288 करोड़ रुपए का रक्षा कॉन्ट्रैक्ट हासिल किया है।

India beats Russia, Poland in Defence deal
रक्षा डील में भारत ने रूस को पीछे छोड़ा 
मुख्य बातें
  • बड़े रक्षा निर्यातक रूस को पीछे छोड़ भारत ने हासिल किया रडार प्रणाली का कॉन्ट्रैक्ट
  • 288 करोड़ की रक्षा डील के तहत यूरोपीय देश को 'स्वाति' रडार देगा भारत
  • स्वाति के साथ अन्य हथियारों के निर्यात को लेकर कई देशों पर टिकी नजर, DRDO कर रहा तैयारी

नई दिल्ली: रूस दुनिया के सबसे बड़े हथियार निर्यातकों में से एक है और इस देश को अमेरिका के बाद दूसरी बड़ी महाशक्ति कहा जाता है। रूसी हथियारों की तकनीक को बेहतरीन माना जाता है और कई देश उससे हथियार खरीदते हैं। भारत भी रूस का अहम रक्षा साझेदार है और हमारे देश की सेनाओं में भी ज्यादातर रूसी उपकरण हैं। इस बीच एक दिलचस्प खबर सामने आई है जिसे रक्षा क्षेत्र में भारत की बढ़ती आत्मनिर्भरता और स्वदेशी हथियारों की गुणवत्ता के लिए एक शुभसंकेत माना जा सकता है। भारत ने एक यूरोपीय देश के लिए रक्षा सौदे की स्पर्धा में रूस को पीछे छोड़ते हुए कॉन्ट्रैक्ट हासिल कर लिया है। रूस के अलावा पोलैंड को भी पीछे छोड़कर भारत ने यह सौदा हासिल किया है।

एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार एक बड़ी सफलता के तहत भारत ने रूसी और पोलिश फर्मों को हराकर आर्मेनिया को चार स्वदेशी निर्मित हथियारों की आपूर्ति करने के लिए 40 मिलियन अमेरिकी डॉलर यानी करीब 288 करोड़ रुपए का सौदा हासिल किया है। सरकारी सूत्रों ने एएनआई को बताया, 'यह सौदा रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) की ओर से विकसित किए गए चार स्वाती हथियार लोकेटिंग रडार की आपूर्ति के लिए है।'

अर्मेनिया को स्वाति रडार देगा भारत: यूरोपीय देश अर्मेनिया को उपकरण की आपूर्ति शुरू हो चुकी है और इसे रक्षा क्षेत्र में 'मेक इन इंडिया' कार्यक्रम के लिए एक बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है। सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार अर्मेनिया ने रूस और पोलैंड की ओर से पेश की गई प्रणाली का परीक्षण किया था जो तकनीकी तौर पर काफी अच्छी थी लेकिन उन्होंने भारतीय प्रणाली पर भरोसा जताया और स्वाति रडार खरीदने का फैसला किया। अर्मेनिया और भारत के बीच अनुबंध चार स्वाति रडार के लिए किया गया है।

India beats Russia, Poland in Defence deal

क्या करता है स्वाति रडार: लड़ाई के मैदान में या फिर सीमा पर गोलीबारी के दौरान दुश्मन का हमला सेनाओं को परेशान करता है और कई किलोमीटर दूर से आते तोप के गोले, मोर्टार के गोले और गोलियों की बौछार से निपटने की जरूरत होती है। इसका एक तरीका है कि दुश्मन जिस जगह से हमला कर रहा है वहां पर धावा बोला जाए लेकिन इसके लिए दुश्मन हथियार की सटीक जगह का पता लगाना बेहद जरूरी और अहम काम होता है।

स्वाति रडार ठीक यही काम करता है। स्वाति दुश्मन के हथियारों जैसे मोर्टार, गोले और रॉकेट का पता लगाने में सक्षम है। 50 किलोमीटर की सीमा में यह भारतीय रडार तेजी से स्वचालित तौर पर सटीकता के साथ दुश्मन के हथियार की लोकेशन बता सकता है।

पाकिस्तान सीमा पर भारतीय सेना करती है इस्तेमाल: रडार एक साथ विभिन्न स्थानों पर विभिन्न हथियारों से दागे गए कई प्रोजेक्टाइल पर नजर रख सकता है। भारतीय सेना जम्मू और कश्मीर में नियंत्रण रेखा के साथ अपने संचालन के लिए इन्हीं रडार का इस्तेमाल कर रही है जहां पाकिस्तानी चौकियों की ओर से किए गए हमले के असल जगह का पता इसकी मदद से लगाया जाता है। सेना को 2018 में ट्रायल के लिए यह सिस्टम दिया गया था।

अधिकारियों ने कहा कि निर्यात आदेश भारत को अपनी स्वदेशी प्रणालियों की बिक्री के लिए एक नया बाजार खोलने में मदद करेगा। भारतीय रक्षा तकनीक यूरोपीय और अन्य प्रतिद्वंद्वियों की तुलना में सस्ती है और गुणवत्ता के लिहाज से भी अच्छी है।

रक्षा मंत्रालय अब रक्षा निर्यात को बढ़ावा देने के लिए दक्षिण-पूर्व एशिया, लैटिन अमेरिका और मध्य-पूर्व देशों की ओर भी देख रहा है। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 35,000 करोड़ रुपए के रक्षा निर्यात का लक्ष्य रखा है।

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