नई दिल्ली : चीन 1962 के युद्ध में मिली जीत से इतना अहंकार में है कि उसे लगता है कि वह भारत को एक बार फिर पराजित कर देगा। चीन का बौद्धिक वर्ग अपनी इस 'आत्म मुग्धता' से बाहर नहीं आ पाया है। आज भारत और भारतीय सेना की लोहा पूरा दुनिया मान रही है और विशेषज्ञ यह मानते हैं कि आज की तारीख में यदि युद्ध हुआ तो भारतीय सेना पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) को धूल चटा देगी लेकिन चीन अपने ही हठधर्मिता पर अड़ा है। चीनी सरकार के मुखपत्र 'ग्लोबल टाइम्स' ने एक बार फिर दावा किया है कि युद्ध होने पर भारत की हार होगी। उत्तर प्रदेश भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह का बयान चीन को इतना नागवार गुजरा है कि 'ग्लोबल टाइम्स' की रिपोर्टर वांग वेनवेन ने इस पर एक लेख लिखा है।
चीन की दिखी खिसियाहट
वेनवेन के मुताबिक भारत यदि चीन के साथ युद्ध लड़ता है तो वह हार जाएगा। भारत कोरोना से भी हार गया है। ग्लोबल टाइम्स की इस रिपोर्टर ने अपने लेख में स्वतंत्र सिंह के बयान का जिक्र किया है। सिंह ने सोमवार को कहा कि चीन और पाकिस्तान से युद्ध कब होगा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उसकी तारीख तय कर ली है। वेनवेन का कहना है कि इस तरह के बयान से भारत में गलत संदेश जाएगा कि भारतीय फौज चीन को हरा सकती है।
'भारत की फौज से ज्यादा ताकतवर है चीन'
उन्होंने आगे कहा, 'स्वतंत्र देव सिंह हालांकि यह बताना भूल गए कि चीन की फौज भारत से ज्यादा ताकतवर है।' रिपोर्टर ने आगे लिखा है कि राजनीतिक मामलों में भारत एक शक्तिशाली देश है लेकिन चीन के साथ युद्ध छिड़ने पर वह हार जाएगा। वेनवेन के मुताबिक, 'मैं समझ नहीं पाती कि भारत में इस तरह की टिपप्णियां लोग क्यों करते हैं? अंतरराष्ट्रीय एवं सुरक्षा मामलों का जहां तक सवाल है, क्या इस पर बयानबाजी करने पर कोई रोक नहीं है?'
'कोरोना से जंग लड़े भारत'
अखबार ने आगे लिखा है, 'भारत यदि युद्ध लड़ना चाहता है तो उसे कोरोना वायरस के खिलाफ जंग लड़नी चाहिए। क्योंकि इस महामारी के खिलाफ लड़ाई में उसकी हार हुई है। संक्रमण के मामलों में भारत दुनिया का दूसरे सबसे बड़ा देश है। रविवार को उत्तर प्रदेश में कोरोना से मरने वालों की संख्या 6,882 हो गई है। भारत में प्रदेश स्तर के एक नेता चीन के साथ की बात कर रहे हैं जबकि चीन में स्थानीय अधिकारी महामारी को रोकने के लिए जमीनी स्तर पर प्रयास कर रहे हैं।'
भारत-चीन के सैन्य कमांडरों के बीच होगी बातचीत
सीमा पर शांति बहाली के लिए भारत और चीन के सैन्य कमांडरों के बीच आठवें दौर की बातचीत होनी है। इस तरह की बयानबाजी से बातचीत का माहौल खराब करने और राष्ट्रवादी भावनाओं को हवा देने की जगह भारत को सकारात्मक संदेश देना चाहिए। भाजपा के नेता भारत सरकार के आधिकारिक रुख का प्रतिनिधित्व नहीं करते। उनके पास सैन्य मामलों का कोई प्रभार भी नहीं है। उन्होंने राजीनीतिक फायदे के लिए इस तरह का बयान दिया है।
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