नई दिल्ली : भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर तनाव की स्थिति डेढ़ साल बाद भी पूरी तरह दूर नहीं हो पाई है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर के मुताबिक, इस मामले में थोड़ी प्रगति हुई है, पर बड़ी समस्या अभी बरकरार है। इन सबके बीच दोनों देशों ने एक बार फिर सैन्य कमांडर स्तर की बातचीत की, जिसमें तनाव वाले बिंदुओं से गतिरोध दूर करने के मसले पर चर्चा की गई।
भारत और चीन के बीच रविवार को 13वें दौर की कॉर्प्स कमांडर स्तर की वार्ता हुई, जो तकरीबन साढ़े आठ घंटे तक चली। यह बातचीत पूर्वी लद्दाख में LAC पर मोल्डो में चीन के नियंत्रण वाले क्षेत्र में हुई, जिसमें भारतीय प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई लेह स्थित 14वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन ने की। बातचीत सुबह करीब 10:30 बजे शुरू हुई, जो शाम 7 बजे तक चली।
समझा जाता है कि भारत और चीन के बीच 13वें दौर की कोर कमांडर स्तर की वार्ता में पेट्रोलिंग प्वाइंट 15 से सैनिकों की वापसी की विलंबित प्रक्रिया को जल्द पूरा करने के मुद्दे पर चर्चा हुई। भारत का जोर इस बात पर रहा है कि देप्सांग समेत टकराव के सभी बिंदुओं पर लंबित मुद्दों का समाधान जल्द किया जाना चाहिए, जो दोनों देशों के बीच संबंधों में सुधार के लिए जरूरी है।
भारत और चीन के बीच यह बातचीत ऐसे समय में हुई है, जबकि कुछ दिन पहले ही विदेश मंत्री एय जयशंकर ने एक कार्यक्रम में कहा कि दोनों देशों के बीच पूर्वी लद्दाख में तनाव कम करने की दिशा में कुछ प्रगति जरूर हुई है, पर बड़ी समस्या अभी बरकरार है। वहीं सेना प्रमुख मनोज मुकुंद नरवणे ने LAC के अग्रिम क्षेत्रों में चीनी सैनिकों की तैनाती में बढ़ोतरी पर चिंता जताते हुए यह भी कहा था कि भारत किसी भी घटना से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है।
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