नई दिल्ली। शुक्रवार को चीन की तरफ से दो बड़ी खबरें आईं। पहली खबर यह थी चीन ने पहली बार आधिकारिक तौर पर मान लिया कि 14-15 जून 2020 की रात गलवान में उसके एक अधिकारी समेत पांच सैनिक मारे गए थे। इसके साथ ही एक वीडियो जारी किया कि गलवान में जो कुछ हुआ उसके लिए वो जिम्मेदार नहीं है। यह बात अलग है कि उस वीडियो से अब साफ हो चुका है कि चीनी सैनिक अवैध तौर पर घुसपैठ की कोशिश कर रहे थे। इन सबके बीच शनिवार को दोनों देशों के कोर कमांडरों के बीच 10वें दौर की बातचीत होने वाली है जिसे काफी अहम बताया जा रहा है।
9वें दौर की बातचीत के बाद पिघली थी बर्फ
बता दें कि 9वें दौर की बातचीत के बाद फिंगर एरिया में दोनों देश अपने पहले की स्थिति में जा चुके हैं। इस समय भारत फिंगर एरिया 3 और चीन फिंगर एरिया 8 के और पूरब जा चुका है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संसद को जानकारी दी थी कि पैंगोंग लेक के उत्तरी और दक्षिण किनारे पर यथास्थिति की बहाली के बाद विवाद के दूसरे बिंदुओं पर बातचीत होगी।
क्या कहते हैं जानकार
अब इस मसले में जानकारों का क्या कहना है उसे समझना जरूरी है। कुछ रक्षा जानकार कहते हैं कि फिंगर एरिया में दोनों देशों के बीच परसेप्शन का मामला है। मसलन भारत मानता है कि फिंगर 8 के पार एलएसी है और चीन फिंगर फोर को एलएसी मानता है। ऐसे में सवाल यह है कि किसके दावे में कितना दम है। जानकार कहते हैं कि अगर आप चीन की तैयारी को देखें तो फिंगर 8 से लेकर फिंगर 4 तक उसने सड़क बना रखी है और उसका उपयोग करता है जबकि भारतीय सेना पैदल ही फिंगर 8 तक गश्त किया करती थी।
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