नई दिल्ली : दुनिया की बेहतरीन वायु रक्षा प्रणाली एस-400 की पहली यूनिट को भारत ने पंजाब सेक्टर में तैनात कर दिया है। ऐसा चीन और पाकिस्तान के आसमानी खतरों को निष्क्रिय करने के लिए किया गया है। रूस ने इस एयर डिफेंस सिस्टम की आपूर्ति करनी शुरू कर दी है। 'इंडिया टुडे' की एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि 'एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम की पहली स्क्वॉड्रन को पंजाब सेक्टर में तैनात किया जा रहा है।' गत दिनों दुबई एयरशो के दौरान रशियन फेडरल सर्विस फॉर मिलिट्री टेक्निकल को-ऑपरेशन (एफएसएमटीसी) के डाइरेक्टर ने दमित्रि शुगाएव ने बताया कि भारत को एस-400 की आपूर्ति शुरू हो गई है।
भारत ने करीब 5.5 अरब डॉलर की लागत से एस-400 की पांच यूनिटें खरीदने का करार रूस के साथ किया है। रक्षा जानकारों का कहना है कि इस प्रणाली को ऐसी जगहों पर तैनात किया जाएगा जहां से चीन और पाकिस्तान के खतरों का मुकाबला आसानी से किया जा सके। रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि इस रक्षा प्रणाली के उपकरणों को समुद्र और वायु मार्ग से लाया जा रहा है और जल्द ही इन्हें तय स्थानों पर तैनात कर दिया जाएगा। सूत्रों का कहना है कि एस-400 के पहले स्क्वाड्रन की आपूर्ति इस साल के अंत तक हो जाएगी। इसके बाद वायु सेना अपने पूर्वी मोर्चे पर ध्यान केंद्रित करेगी।
अमेरिका को क्यों खटकती है एस-400 डील, करार पर आगे बढ़ा भारत तो क्या लगेगा प्रतिबंध?
हालांकि, इस डील पर अमेरिका की भी नजर है। रूस के साथ इस डील पर आगे बढ़ने पर भारत पर अमेरिकी प्रतिबंध लगने का खतरा है। अमेरिकी विदेश मंत्री इस ओर इशारा कर चुके हैं। हालांकि, अमेरिका में सांसदों का एक गुट ऐसा भी है जो यह मानता है कि चीन का मुकाबला करने के लिए भारत को यह मिसाइल सिस्टम मिलना चाहिए। अमेरिकी सांसद 'काट्सा' से भारत को राहत देने की बात भी कह चुके हैं। रूस के साथ हथियार खरीदने पर अमेरिका अपने काउंटरिंग अमेरिका एवर्सरीज थ्रू सैंक्शन एक्ट के तहत प्रतिबंध लगाता है। यह डिफेंस सिस्टम खरीदने पर अमेरिका नाटो के अपने सहयोगी देश तुर्की पर प्रतिबंध लगा चुका है।
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