नई दिल्ली: ईराक में हजारों फीट की ऊंचाई पर उड़ता एक अमेरिकी ड्रोन जिसने एयरपोर्ट के पास जा रहे गाड़ियों के काफिले पर हमला किया और देखते ही देखते ईरान के टॉप सैन्य कमांडर कासिम सुलेमानी को ढेर कर दिया। यह कोई पहली घटना नहीं थी जब अमेरिका ने इस तरह ड्रोन हमला किया हो अफगानिस्तान और पाकिस्तान में अमेरिका ने आतंकियों पर ड्रोन के जरिए खूब तबाही ढाई है। भारत भी अपनी चुनौतियों को देखते हुए इस तरह की क्षमता हासिल करने के लिए लगातार प्रयास कर रहा था और ऐसा लगता है जल्द ही यह क्षमता भारत को मिलने जा रही है।
भारत जल्द ही प्रोजेक्ट 'चीता' के तहत इजरायल के साथ हेरोन टीपी हमलावर ड्रोन के लिए 2800 करोड़ से ज्यादा की डील के लिए सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करने जा रहा है। रिपोर्ट्स के अनुसार डिफेंस एक्सपो 2020 के दौरान लखनऊ में सहमति पत्र पर हस्ताक्षर होने वाले हैं। हेरोन ड्रोन को इजरायली कंपनी इजरायल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज (आईएआई) से खरीदा जाएगा लेकिन इनका निर्माण 'मेक इन इंडिया' के तहत हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) की मदद से भारत में ही होगा।
इजरायल बीते लंबे समय से भारत का रक्षा साझेदार रहा है। कई मौकों पर इजरायल भारत की मदद के लिए आगे आता रहा है। अब एक बार फिर इसी दोस्त की मदद से भारत अमेरिका, चीन, इजरायल, ब्रिटेन जैसे चुनिंदा देशों के समूह में शामिल होने जा रहा है।
यहां जानें इजरायली ड्रोन की खासियतें:
फिलहाल भारतीय वायुसेना 100 हमलवार ड्रोन अपने बेड़े में शामिल करने पर विचार कर रही है। चीन पहले ही इस तरह के ड्रोन विकसित कर चुका है जबकि वह पाकिस्तान को भी यह हथियार उपलब्ध करवा रहा है हालांकि भारत के पास आ रहे इजरायली ड्रोन के ज्यादा आधुनिक और ताकतवर होने की संभावना है। भारत मौजूदा समय में नजर रखने और जानकारी इकट्ठा करने के लिए इजरायली सर्विलांस ड्रोन का इस्तेमाल करता है।
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