नई दिल्ली : रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार को राज्यसभा में इस पूरे मसले पर भारत के रुख को स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि यूक्रेन संकट पर भारत का रुख छह सिद्धांतों पर आधारित है, जिसमें हिंसा पर रोक, बातचीत के जरिये समाधान ढूंढने जैसी कोशिशें शामिल हैं। उन्होंने यह भी बताया भारत इस संकट के दौरान रूस और यूक्रेन के नेताओं के संपर्क में तो है ही, वहां मानवीय सहायता भी भेज रहा है।
विदेश मंत्री राज्यसभा में एक सवाल का जवाब दे रहे थे, जब उन्होंने कहा, यूकेन पर भारत की स्थिति बिल्कुल स्पष्ट है। यह छह सिद्धांतों पर आधारित है-
1) हिंसा पर तुरंत रोक लगे
2) बातचीत और कूटनीति प्रकिया शुरू की जाए
3) अंतरराष्ट्रीय कानून पर आधारित वैश्विक व्यवस्था का पालन हो
4) संयुक्त राष्ट्र के चार्टर का पालन हो
5) क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान हो
6) मानवीय सहायता की पहुंच सुनिश्चित हो।
उन्होंने यह भी कहा कि भारत एक ओर जहां रूस और यूक्रेन के नेतृत्व के संपर्क में बना हुआ है, वहीं भारत की ओर से मानवीय सहायता भी भेजी जा रही है। भारत ने दवा, मेडिकल उपकरण और राहत सामग्री यूक्रेन में भेजे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि यूक्रेन में युद्ध शुरू होने के बाद सरकार ने वहां से भारतीय छात्र-छात्राओं/नागरिकों की वापसी को लेकर जो 'ऑपरेशन गंगा' चलाया था, उसके जरिये 18 देशों के 147 विदेशी नागरिकों को भी संकटग्रस्त यूक्रेन से बाहर निकाला गया और उन्हें भारत लाया गया।
यूएनएससी में रुस के प्रस्ताव पर मिले सिर्फ दो वोट, भारत ने खुद को रखा दूर
विदेश मंत्री का यह बयान ऐसे समय में आा है, जब संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत ने एक बार फिर रूस के मसले पर मतदान से खुद को दूर रखा। सुरक्षा परिषद में अब तक जहां प्रस्ताव रूस के खिलाफ पश्चिमी देशों द्वारा लाए गए थे, वहीं यह प्रस्ताव रूस की ओर से लाया गया था, जिसे रूस और चीन को छोड़कर किसी भी और देश से समर्थन नहीं मिला। भारत सहित सुरक्षा परिषद के 13 सदस्यों ने यूक्रेन में मानवीय संकट पर रूस द्वारा लाए गए प्रस्ताव पर मतदान नहीं किया और इस तरह रूस के प्रस्ताव को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने स्वीकार नहीं किया।
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