नई दिल्ली : अमेरिकी कांग्रेस की एक रिपोर्ट में आगाह किया गया है कि भारत यदि रूस से एस-400 वायु रक्षा प्रणाली की यदि खरीद करता है तो उसे अमेरिकी प्रतिबंधों का सामना करना पड़ा सकता है। हालांकि यह रिपोर्ट आधिकारिक नहीं है फिर भी प्रतिबंध की चर्चा ने एक बार फिर जोर पकड़ ली है। यूएस कांग्रेस की एक स्वतंत्र रिसर्च इकाई सीआरएस ने कांग्रेस को सौंपी गई अपनी ताजी रिपोर्ट में कहा है कि 'भारत पहले से ज्यादा तकनीकी साझेदारी एवं सह-उत्पादन की दिशा में काम करने को उत्सुक है जबकि अमेरिका भारतीय रक्षा नीतियों में ज्यादा सुधार एवं उसके रक्षा क्षेत्र में ज्यादा विदेशी प्रत्यक्ष निवेश चाहता है।'
रूस की यूक्रेन एवं सीरिया में सैन्य संलिप्तता और अमेरिकी चुनावों में हस्तक्षेप के आरोपों के कारण अमेरिका ने 2017 कानून के तहत उन देशों पर प्रतिबंध लगाने का प्रावधान किया है जो रूस से ‘बड़े’ हथियार खरीदते हैं।
यह रिपोर्ट आधिकारिक नहीं
कांग्रेस सदस्यों के लिए तैयार इस रिपोर्ट में भारत को आगाह करते हुए कहा गया है कि 'वायु रक्षा प्रणाली एस-400 खरीदने के लिए रूस के साथ भारत की अरबों डॉलर की डील काउंटरिंग अमेरिका एडवर्सरीज थ्रू सैंक्शन एक्ट के तहत नई दिल्ली पर प्रतिबंध लगा सकती है।' सीआरएस की यह रिपोर्ट न तो आधिकारिक है और न ही यह कांग्रेस सदस्यों के विचारों को प्रदर्शित करती है। यह रिपोर्ट सूझबूझ भरे फैसले लेने के लिए स्वतंत्र विशेषज्ञों की तरफ से तैयार की गई है।
रूस के साथ साल 2018 में हुआ करार
बता दें कि भारत ने रूस की एस-400 खरीदने के लिए रूस के साथ करार किया है। अक्टूबर 2018 में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा के दौरान इस डील पर हस्ताक्षर हुए। इस सौदे की कीमत पांच अरब डॉलर बताई जाती है। एस-400 को दुनिया की बेहतरीन वायु रक्षा प्रणालियों में से एक माना जाता है। प्रतिष्ठित पत्रिका इकॉनमिस्ट इसे दुनिया की बेहतरीन वायु रक्षा प्रणाली मानती है। रूस ने इस रक्षा प्रणाली को अपने कई शहरों, युद्धपोतों और सीरिया में तैनात किया है। साथ ही उसने इसे चीन और तुर्की को भी बेचा है।
अहम होगी एस-400 और राफेल की जुगलबंदी
भारतीय वायु सेना कई मौकों पर राफेल के साथ एस-400 जैसे मिसाइल डिफेंस सिस्टम की जरूरत बता चुकी है। फ्रांस के साथ भारत का 36 राफेल का सौदा हुआ है। फ्रांस से अत्याधुनिक लड़ाकू विमानों की दो खेप भारत पहुंच चुकी है। रूस से वायु रक्षा प्रणाली की आपूर्ति में हो रही देरी को भारत मास्को के समक्ष उठा चुका है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह अपने हाल के दौरे पर इसकी आपूर्ति जल्द करने की मांग कर चुके हैं। जबकि रूस की तरफ से कहा गया है कि कोरोना प्रकोप के चलते इसके आपूर्ति में देरी हुई है। रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि राफेल के साथ एस-400 की युगलबंदी सेना को चीन और पाकिस्तान के साथ एक साथ निपटने की स्थिति में रणनीतिक बढ़त देगा।
अमेरिका के थिंक टैंक चाहते हैं कि भारत को छूट मिले
अमेरिका के ज्यादातर थिंक टैंकों का मानना है कि वाशिंगटन को अपने प्रतिबंधों से नई दिल्ली को छूट देनी चाहिए। क्योंकि उनका मानना है कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ते दबदबे को रोकने और क्षेत्र में संतुलन लाने के लिए सामरिक रूप से शक्तिशाली भारत उनके हितों के अनुरूप है।
भारत-अमेरिका के बीच अब तक के सबसे करीबी संबंध
अमेरिका को लगता है कि दक्षिण एशिया में भारत ही एक ऐसा देश है जो चीन की आक्रामकता का जवाब दे सकता है। ऐसे में रूस यदि एस-400 की आपूर्ति करता भी है तो इस बात की संभावना कम ही है कि अमेरिकी प्रशासन भारत पर प्रतिबंध लगाने जैसा कदम उठाएगा। भारत और अमेरिका के संबंध अब तक के अपने सबसे मजबूत दौर में हैं। दोनों देशों के बीच रक्षा एवं आर्थिक सहयोग नई ऊंचाइयों पर पहुंच चुका है।
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