नई दिल्ली: भारत में कोरोनो वायरस से संक्रमित दो और लोगों की पहचान हुई। इसके साथ ही भारत में इस वायरस की चपेट में आने वाले तीन मामलों की पुष्टि हो गई है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने गुरुवार को कहा कि इन तीनों मामलों पर उनकी नजर है। साथ ही चीन से एकजुटता जाहिर करने के लिए भारत सरकार चिकित्सा सामग्री बीजिंग भेज रही है। अच्छी बात यह है कि मानेसर में रखे गए सभी 402 लोगों के कोरोना वायरस का टेस्ट निगेटिव आया है। जापान के तट पर समीप जहाज पर इस वायरस से संक्रमित भारतीयों का इलाज किया जा रहा है।
कोलकाता एयरपोर्ट पर थर्मल स्क्रीनिंग के दौरान दो यात्री कोरोना वायरस से संक्रमित मिले। एनएससीबीआई हवाई अड्डे के निदेशक कौशिक भट्टाचार्य ने कहा कि हिमाद्री बर्मन को मंगलवार को और नागेन्द्र सिंह को बुधवार को संक्रमित पाया गया। दोनों को बेलियाघाट आईडी अस्पताल भेजा गया है।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि भारत में कोरोना वायरस से संक्रमित तीनों मामलों पर करीबी नजर बनाए हुए हैं। कोरोना वायरस को लेकर लोगों में किसी तरह की गफलत एवं डर पैदा न हो इसके लिए सरकार हर संभव उपाय कर रही है। उन्होंने कहा, 'चीन के साथ एकजुटता दिखाने के लिए हम विदेश मंत्रालय के सहयोग से चिकित्सा सामग्री, उपकरण और अन्य सामग्रियां बीजिंग भेज रहे हैं।'
केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन ने कहा, 'मानेसर में आईटीबीपी के उपचार केंद्र में रखे गए सभी 402 लोगों का कोरोना वायरस का टेस्ट निगेटिव आया है। जापान के पास जहाज में कोरोना वायरस से संक्रमित मिले चालक दल के दो भारतीय सदस्यों का इलाज किया जा रहा है।'
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार को कहा कि जापान के तट के पास जहाज ‘डायमंड प्रिंसेस’पर सवार यात्रियों एवं चालक दल को सभी तरह की सहायता दे रहा है जिन्हें कोरोना वायरस के मद्देनजर जापान तट पर पृथक कर रखा गया है। बता दें कि कोरोना वायरस के कारण चीन में अब तक 1,300 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। भारत में अब तक इसके तीन मामलों की पुष्टि हुई है।
अपने 647 नागरिकों को चीन से निकाल चुका है भारत
भारत ने चीन के वुहान प्रांत से दो बार में अब तक 647 नागरिकों को वहां से निकाल चुका है। पड़ोसी देश मालदीव के 7 नागरिकों को भी वहां से निकाला गया है। कोरोना वायर अमेरिका, ब्रिटेन सहित 25 देशों में दस्तक दे चुका है। श्रीलंका और बांग्लादेश ने भी विशेष विमानों से अपने नागरिकों वहां से निकाला है। जबकि पाकिस्तानी छात्र अभी भी वायरस के प्रभाव वाले इलाके में फंसे हुए हैं।
वुहान से भारतीयों को निकाला आसान काम नहीं था
चीन में भारत के राजदूतत विक्रम मिसरी का कहना है कि वुहान से छात्रों का निकालना आसान काम नहीं था। उन्होंने बताया कि जनवरी के मध्य से कोरोना वायरस के फैलने की खबरें सामने आने लगीं। उस समय भारतीय छात्र हुबेई प्रांत और वायरस के गढ़ वुहान के अलग-अलग हिस्सों में रह रहे थे। इन छात्रों की तलाश करना एक बेहद मुश्किल था। यह काम और ज्यादा मुश्किल इसलिए हो गया क्योंकि चीन की छुट्टियां शुरू होने से काफी सारे छात्र स्वदेश रवाना हो गए थे। इनके बारे में आंकड़ा जुटाना भी एक चुनौती थी। अधिकारी का कहना है कि भारतीयों को एक ऐसे क्षेत्र से बाहर निकालना था जिसे चारों तरफ से बंद कर दिया गया हो।
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