नई दिल्ली : मिसाइल परीक्षण के क्षेत्र में भारत ने एक और छलांग लगाई है। भारत ने गुरुवार को वारहेड के साथ एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल नाग के अंतिम चरण का सफलतापूर्वक परीक्षण किया। इस मिसाइल को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने विकसित किया है। इस मिसाइल का परीक्षण सुबह छह बजकर 45 मिनट पर राजस्थान के पोखरण फायरिंग रेंज में किया गया। हाल के दिनों में भारत ने सुपरसोनिक, हाइपरसोनिक सहित अलग-अलग क्षमता वाली मिसाइलों का परीक्षण किया है। सीमा पर चीन के साथ जारी तनाव के बीच इन मिसाइलों का परीक्षण काफी अहम माना जा रहा है। कुछ दिनों पहले डीआरडीओ प्रमुख ने कहा कि भारतीय सेना जिस तरह की मिसाइल चाहती है, संगठन वैसी ही मिसाइल बनाकर उसे देगा। उन्होंने कहा कि मिसाइल निर्माण के क्षेत्र में भारत अब आत्मनिर्भर बन चुका है।
पिछले करीब डेढ़ महीने में डीआरडीओ ने कम से कम 12 मिसाइलों के परीक्षण किए हैं। ये मिसाइलें अलग-अलग तरह की और विभिन्न मारक दायरे वाली हैं। बताया जाता है कि डीआरडीओ आने वाले दिनों में कुछ और मिसाइलों का टेस्ट करने वाला है। गत सात सितंबर को डीआरडीओ ने हाइपरसोनिक टेक्नॉलजी डिमॉनस्ट्रेटर वेहिकल (एचएसडीटीवी) का सफल परीक्षण किया।
यह मानवरहित स्क्रैमजेट वेहिकल आवाज की गति से छह गुना रफ्तार से उड़ान भर सकती है। इस तकनीक के सफल परीक्षण के बाद भारत हाइपरसोनिक मिसाइलों एवं अन्य हथियारों को आसानी से विकसित कर पाएगा। ये तकनीक चुनिंदा देशों के पास है। भारत भी उस क्लब में शामिल हो गया है। 22 सितंबर को ही भारत ने लेजर गाइडेट एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल (एटीजीएम) का अर्जुन टैंक से सफल परीक्षण किया। इसकी मारक क्षमता तीन किलोमीटर है। इसके बाद एक अक्टूबर को ज्यादा दूरी वाली इसी मिसाइल का एक और परीक्षण हुआ।
गत 24 सितंबर को भारत ने परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम पृथ्वी-2 मिसाइल का सफल परीक्षण किया। अब यह मिसाइल 400 किलोमीटर तक मार कर सकती है। जबकि तीस सितंबर को सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल ब्रह्मोस, 17 अक्टूबर को ब्रह्मोस के नौसेना संस्करण का सफल परीक्षण हुआ। न नवंबर को डीआरडीओ ने परमाणु हथियार ले जाने में सक्षण शौर्य का सफल टेस्ट किया। इसकी मारक क्षमता 800 किलोमीटर है।
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