नई दिल्ली। 15-16 जून की रात गलवान घाटी में हिंसक झड़प के बाद भारत और चीन में तनाव चरम पर है। कूटनीतिक और सैन्य स्तर की बातचीत के जरिए विवाद को सुलझाने की कोशिश की जा रही है। लेकिन चीन की कथनी और करनी में अंतर साफ साफ नजर आता है। इस बीच भारत सरकार ने बड़ा फैसला किया है। रूसी सरजमीं पर कई देशों के साझा सैन्यअभ्यास में भारत साझेदार नहीं होगा। बता दें कि कावकाज-2020 में चीन और पाकिस्तान की सेना भी हिस्ला लेंगी। इस संबंध में रूस को जानकारी दी जाएगी।
चीन के साथ तनाव और कोविड 19 का हवाला
चीन से तनाव के बीच भारत सरकार की तरफ से कोविड-19 का भी हवाला दिया गया है। भारत ने अपने यहां के कोविड से उपजे हालात को बताया गया है। बता दें कि दक्षिण रूस के अस्त्राखान इलाके में कई देशों की सेनाएं अभ्यास करेंगी। बताया जा रहा है कि साउथ ब्लॉक में इस संबंध में उच्च स्तरीय बैठक हुई जिसमें विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ साथ सीडीएस बिपिन रावत भी मौजूद थे। बैठक में इस बात पर चर्चा हुई कि जब पाकिस्तान और चीन की सेनाएं जहां मौजूद होंगी वहां भारतीय फौज को भेजना उचित नहीं होगा।
चीन की कथनी और करनी में रहता है अंतर
गलवान हिंसा के बाद भारत और चीन के बीच तनाव चरम पर हैं। भारत की तरफ से चीन के खिलाफ कड़े आर्थिक कदम उठाए हैं। एक तरफ भारत ने चीन के 59 ऐप्स पर बैन लगाया है तो इसके साथ ही चीनी फर्म के ठेके को निरस्त किया गया है। भारत की तरफ से स्पष्ट किया गया है कि जो बातें टेबल पर आमने सामने होती है वो जमीन पर उतरते हुए दिखाई भी देना चाहिए। बता दें कि भारत में चीन के राजदूत सुन विडोंग ने कहा था कि दोनों देशों एक दूसरे के दुश्मन नहीं है बल्कि दोस्त हैं। बदलते हुए वैश्विक परिवेश में चीन और भारत को मिलकर ही आगे बढ़ना होगा।
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