नई दिल्ली। लद्दाख के पूर्वी सेक्टर में तनाव को कम करने के लिये शुक्रवार को भारत और चीन के सैन्य कमांडरों के बीत आठवें स्तर की बातचीत होगी। यह बैठक इस दफा पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारतीय क्षेत्र चुशूल में होगी। इस बैठक का मकसद यह है कि इससे पहले जो बातचीत हुई है उसे जमीन पर कितना अमल में लाया गया है। इसके साथ ही दोनों सेनाएं किस तरह से अप्रैल 2020 के पहले की तरह अपने अपने बैरकों में लौट जाएं। इसके अलावा इस बैठक का एक और मकसद है कि इस तरह के मैकेनिज्म को विकसित किया जाए ताकि विवादित जगहों को लेकर संघर्ष की स्थिति ना बने।
दोनों देशों की सेनाएं सीमा पर तैनात
बता दें कि चीन की किसी भी हिमाकत का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए भारत के लगभग 50,000 सैनिक दुर्गम ऊंचाई वाले पहाड़ी पोस्ट पर तैनात हैं।पिछले 6 महीने से चीन के साथ चल रहे गतिरोध का अंतिम नतीजा नहीं निकला है। दरअसल चीन, वार्ता के टेबल पर कहता कुछ और है लेकिन जमीन पर जब उसे उतारने की बारी आती है तो आनाकानी शुरू कर देता है।
चीन से यथास्थिति बहाल करने पर जोर
भारतीय अधिकारियों का कहना है कि चीनी सेना ने भी मिरर डिप्लायमेंट कर रखा है इसका अर्थ यह है कि जितने भारतीय सैनिक हैं करीब उतने ही चीनी सैनिक भी हैं। भारत का साफ मानना है कि तनाव कम करने की जिम्मेदारी चीन की है। हाल ही में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि भारत और चीन के बीच गंभीर तनाव है और सीमा प्रबंधन को लेकर दोनों पक्षों द्वारा समझौतों का सम्मान किया जाना चाहिए।
फिलहाल एलएसी पर बनी हुई है शांति
पिछले दौर की बातचीत के बाद संयुक्त बयान जारी कर दोनों पक्षों ने कहा था कि सैन्य एवं कूटनीतिक माध्यमों से वार्ता तथा संपर्क बना कर तनाव कम करने की दिशा में आगे बढ़ा जा सकता है। 6वें दौर की सैन्य वार्ता के बाद दोनों पक्षों ने अग्रिम मोर्चे पर और सैनिक न भेजने, जमीन पर स्थिति को एकतरफा ढंग से बदलने से बचने और स्थिति को बिगाड़ने वाली कोई कार्रवाई न करने जैसे कुछ कदमों की घोषणा की थी।
Times Now Navbharat पर पढ़ें India News in Hindi, साथ ही ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें ।