नई दिल्ली : लद्दाख सहित वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन के साथ जारी तनाव को देखते हुए इस पूरे सेक्टर में भारतीय सेना पहले से अलर्ट है। सेना अब 1962 के युद्ध के समय अरुणाचल प्रदेश में चीनी गतिविधियों के केंद्र रहे सभी 'छह विवादित क्षेत्रों' एवं 'चार संवेदनशील' इलाकों में अपनी तैयारी का स्तर और मुस्तैदी और बढ़ा दी है। टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक एक शीर्ष रक्षा सूत्र ने कहा, 'विवादित स्थल के ये चार क्षेत्र ऊपरी सुबनसिरी जिले के असपिला, लॉन्गजु, बिसा और माझा हैं। यहां चीन की सेना पीएलए पहले ही बिसा होते हुए एलएसी के एक छोर से दूसरे छोर तक एक सड़क बना चुकी है।'
काफी ऊंचाई पर है असपिला सेक्टर
सूत्र ने कहा, 'चीन असपिला सेक्टर के पूरे इलाके को अपना क्षेत्र होने का दावा करता है। इसे विवादित क्षेत्र माना जाता है। यह स्थल काफी ऊंचाई पर स्थित है। यहां पर पोजीशन लेना दोनों देशों की सेना के लिए काफी चुनौतीपूर्ण है। खास बात यह है कि सर्दी के मौसम में इस स्थान पर अपनी सेना तैनात रखना चीन के लिए काफी मुश्किल है। चीन का इस स्थान से करीब छह महीने तक संपर्क टूट जाएगा।' पीएलए ने असापिला सेक्टर से 21 साल के एक युवक को अगवा कर लिया था। उसने 19 दिनों के बाद इस युवक को भारतीय अधिकारियों को लौटाया।
तवांग जिले के पास भी बढ़ाई निगरानी
1962 के जंग में दोनों देशों के बीच टकराव का मुख्य केंद्र बिंदु रहे तवांग जिले के दो स्थानों तुलुंग-ला एवं यांगत्से पर भारतीय सेना ने अपनी निगरानी एवं सक्रियता बढ़ा दी है। ये दोनों इलाके भी विवादित माने जाते हैं। 20 अक्टूबर 1975 को चीन की सेना तुलुंग ला में दाखिल हुई थी और बाद में असम राइफल के चार जवान मृत पाए गए थे। सूत्र ने कहा, 'चीनी सेना की तरफ से साल 2016 में यांगत्जे में अतिक्रमण की बात सामने आई थी लेकिन उसने किसी स्थान पर कब्जा नहीं किया।'
एलएसी पर नया मोर्चा खोल सकता है चीन
बता दें कि 29 और 30 अगस्त को चीन की सेना ने पैंगोंग झील के दक्षिणी हिस्से में ऊंची पहाड़ियों पर अपना नियंत्रण करने की कोशिश की थी लेकिन भारतीय सेना की मुस्तैदी ने उनके प्रयासों को विफल कर दिया। रणनीतिकार मानते हैं कि पैंगोंग झील के पास ऊंची चोटियों पर अपना नियंत्रण कर लेने से भारतीय सेना की चीन पर बढ़त प्राप्त हो गई है। चीन को यह बात पच नहीं पा रही है। रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि एलएसी पर सामरिक रूप से महत्वपूर्ण इसी तरह की ऊंची चोटियों पर कब्जा कर चीन भारत को जवाब देने की कोशिश कर सकता है। इसे देखते हुए भारतीय सेना पहले से कही ज्यादा सतर्क हो गई है।
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